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है । उससे आहार का रस-भाव अमृतमय जीवन शक्तिपूर्ण दूध रूप में परिवर्तित होता है । इसलिये सन्तानोत्पत्ति होते ही नारियों के स्तनों में दूध की धारा बहने लगती है । जब एक साधारण स्त्री को अपने सन्तान के प्रेम वात्सल्य से प्लावित होने के कारण उसके शरीर में दूध का संचार हो सकता है तब जगत् के एकैक अकारण बन्धु विश्वप्रेम-मंत्री के जीवन-मूर्ति तीर्थंकर के सम्पूर्ण शरीर में दुग्ध समान धवल रक्तधारा का चार होना अर्थात् दुग्ध के समान धवल रुधिर होना कोई अनहोनी, कपोल-कल्पित, अतिशयोक्ति नहीं है । उपरोक्त कारणों से सिद्ध होता है कि तीर्थंकरों के रुधिर दुग्ध के समान धवल थे ।
(5) आदि का वज्र वृषभनाराच संहनन
तीर्थंकर की अस्थि, अस्थि कीलक, अस्थिवेष्टन वज्रमय होता है । (6) अनंत बल-वीर्य -
"जो कम्मे सुरास, धम्मे सुरा" अर्थात् जो कर्म में शूर वीर्यवान होता है वह धर्म में भी शूर वीर्यवान होता है । प्रत्येक कार्य करने के लिये शक्ति की नितान्त आवश्यकता है । उपनिषद् में कहा है- ' नहि बलहीनेन अयं आत्मा उपलब्धये' बलहीनों के द्वारा अर्थात् ही वीर्य के द्वारा आत्मा की उपलब्धि नहीं हो सकती है । आत्मा का उद्धार करने वाले तथा जगत् का उद्धार करने वाले तीर्थंकर को अनन्त बल वीर्य की नित्यान्त आवश्यकता ही नहीं अनिवार्य भी है । इसीलिये तीर्थंकर जन्म से ही अनन्त बलवीर्यवान होते हैं ।
(7) समचतुरस्ररूप संस्थान
भगवान के शरीर का संगठन, स्थान, प्रमाण एवं आकार-प्रकार की अपेक्षा अत्यन्त सुन्दर समचतुरस्र संस्थान वाला था ।
( 8 ) 1008 उत्तम लक्षणों का धारण करना
भगवान का शरीर अनुपम सौन्दर्य का केन्द्र था । उनके शरीर में (1) श्रीवृक्ष, (2) शंख, ( 3 ) कमल, (4) स्वस्तिक, (5) अंकुश, ( 6 ) तोरण, ( 7 ) चमर, (8) श्वेत छत्र, ( 9 ) सिंहासन, ( 10 ) ध्वज, ( 11 ) मीन युगल, ( 12 ) दो कुम्भ, (13) चक्र, ( 14 ) समुद्र, ( 15 ) सरोवर, ( 16 ) नागेन्द्र भवन, ( 17 ) हाथी, ( 18 ) सिंह आदि 108 मुख्य लक्षण तथा 900 व्यञ्जन अर्थात् सामान्य लक्षण सब मिलाकर 1008 सुलक्षण से युक्त था ।
(9) सौरभ -
सर्वोत्कृष्ट पुण्य परमाणुओं से उनका शरीर निर्माण होने के कारण उनके शरीर से नृप चम्पक के समान उत्तम गन्ध आती थी ।
(10) हित- मित- प्रिय वचन
महापुरुषों का हृदय अत्यन्त मृदु होने से एवं उनके हृदय में "सर्व जनहिताय सर्व जन सुखाय' की भावना ओत-प्रोत होने से उस हृदय से निसृत ( निकला हुआ ) वचन भी हित- मित- प्रिय होता है ।