Book Title: Kranti Ke Agradut
Author(s): Kanak Nandi Upadhyay
Publisher: Veena P Jain

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Page 48
________________ [ 27 ] स्वर्ग में घण्टा, भेरी, शंख आदि शब्दायमान होते हैं । जैसे एक अखण्ड लम्बी धातु की शलाका (छड़) के एक अंश में तरंगित करने से सम्पूर्ण छड़ तरंगित हो जाती है। या एक अंश को गर्म करने से धीरे-धीरे सम्पूर्ण छड़ गर्म हो जाती है उसी प्रकार तीर्थंकर के समय में सम्पूर्ण विश्व परिस्पंदित हो जाता है । जन्माभिषेक अथ सौधर्म कल्पेशो महैरावतदन्तिनम् । समारुह्य समं शच्या प्रतस्थे विबुधैर्वृतः ॥17॥ आदि पुराण । पर्व 13 तदनन्तर सौधर्म स्वर्ग के इन्द्र ने इद्राणी सहित बड़े भारी ( एक लाख - योजन विस्तृत ) ऐरावत हाथी पर चढ़कर अनेक देवों से परिवृत हो प्रस्थान किया । देव विक्रया से निर्मित अद्भुत-पूर्ण ऐरावत हाथी अनेक मुखदन्त सत्कमल खण्ड पत्रावली । सुरुपसुर सुन्दरी ललित नाटकोद्भासिनं । हिमाद्रिमिव जंगमं निजवधूभिरं रावतं । करोद्रमधिरुढ़वानभिरराज सौधर्मपः ॥21॥ हरिवंश पुराण । सर्ग 38 पृ० 481 सौधर्म इन्द्र अपनी इन्द्राणी आदि देवियों के साथ ऐरावत गजदंत पर आरुढ़ होकर अत्यन्त शोभायमान होने लगा । वह ऐरावत में अनेक मुख और कमल खिले थे, और प्रत्येक कमल में अनेक कमल के दल थे और कमलों के प्रत्येक पत्र पर महान स्वरूप को धारण करने वाली सुरसुन्दरी नृत्य कर रही थीं । वह गजेन्द्र चलता हुआ हिमालय के सदृश्य ही जान पड़ता था । ऐरावत हाथी, पशु जाति हाथी नहीं है परन्तु एक वाहन जाति देव अपनी विक्रिया से ऐरावत हाथी का रूप धारण करता है । इस ऐरावत हाथी का विशेष वर्णन मुनिसुव्रत काव्य में निम्न प्रकार है द्वात्रिंशदास्यानि मुखे ऽष्टदन्ता दन्तेऽब्धि रब्धौ विसिनी विसिन्यां । द्वाविंशदब्जानि दलानि चाब्जे द्वात्रिंशविद्र द्विरदस्यरेजु ॥5-22 ॥ उस ऐरावत हाथी के 32 मुख थे, प्रत्येक मुख में 8-8 दन्त थे, प्रत्येक दन्त पर एक-एक सरोवर था, प्रत्येक सरोवर पर एक-एक कमलिनी थी, एक-एक कमलिनी पर 32-32 कमल दल थे, कमल के प्रत्येक पत्ते पर 32-32 देवाङ्गनाएँ मधुर नृत्य कर रही थीं । इस प्रकार 32 मुख, 256 दन्त, 8197 कमल, 2,62, 144 कमल पत्र थे तथा 83,88,608 देवाङ्गनाएँ मधुर नृत्य कर रही थीं । उपरोक्त ऐरावत हस्ती का वर्णन अद्भुत चमत्कार पूर्ण है । देव लोक अणिमा, महिमा, लधिमा, गरिमा, प्राकाम्य, ईशत्व, वशित्व आदि 8 दैविक ऋद्धि से सम्पन्न होते हैं । ऋद्धियों का विशेष वर्णन पहले किया गया है। विशेष जिज्ञासु वहाँ देखने 1

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