Book Title: Kranti Ke Agradut
Author(s): Kanak Nandi Upadhyay
Publisher: Veena P Jain

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Page 124
________________ 1 103 ] + वि० 80 = 2080 ) कालों से रहित तीस लाख ( 3000000-2080= 2997920) वर्ष प्रमाण कहा गया हैं । कोमारो तिण्णिसया, बारस-सह-पण्ण मंडलीयत्तं । पंचम विजयो सत्तरि, रज्जं तिय-काल - हीणल-हीण - दह लक्खा ॥1441 पाँचवें नारायण का कुमार काल तीन सौ वर्ष, मण्डलीक - काल बारह सौ पचास वर्ष, विजय-काल सत्तर वर्ष और राज्य काल इन तीनों (कु० 300 + म० 1250 + वि० 70 = 1620 ) कालों से रहित दस लाख ( 1000000–1620= 998380) वर्ष प्रमाण कहा हैं । कोमार - मंडलित्ते, कमसो छट्ठे सपण्ण- दोणि-सया । विजयो सठ्ठी रज्जं, चडसठि - सहस्स- चउसया तालं |1442॥ छट्ठे पुण्डरीक नारायण का कुमार और मण्डलीक काल क्रमश: दो सौ पचास वर्ष, विजय काल साठ वर्ष और राज्यकाल चौंसठ हजार चार सौ चवालीस वर्ष प्रमाण हैं । कोमारो दोणि सया, वासा पण्णास मंडलीयत्तं । दत्ते विजयो पण्णा, इगितीस - सहस्स- सग-सया रज्जं ॥14431 दत्त नारायण का कुमार काल दो सौ वर्ष, मण्डलीक काल पचास वर्ष, विजयकाल पचास वर्ष और राज्यकाल इकतीस हजार सात सौ वर्ष प्रमाण कहा गया हैं । अठ्ठमए इगि-ति-सया, कमेण कोमार-मंडलीयत्तं । विजयं चाक्षं रज्जं, एक्करस- सहस्स पण सया सठ्ठी ॥1444॥ आठवें नारायण का कुमार और मण्डलीक काल क्रमशः एक सौ और तीन सौ वर्ष, विजय - काल चालीस वर्ष और राज्यकाल ग्यारह हजार पांच सौ साठ वर्ष प्रमाण हैं । सोलस छप्पण्ण कमे, वासा कोमार-मंडलीयतं । किण्हस्स अठ्ठ विजओ, वीसाहिय णव-सया - रज्जं ॥1445॥ कृष्ण नारायण का कुमार-काल और मण्डलीक काल क्रमशः सोलह और छप्पन वर्ष विजयकाल आठ वर्ष तथा राज्य काल नौ सौ बीस वर्ष प्रमाण हैं । सत्ती - कोदंड - गदा, चक्क - किवाणाणि संख- दंडाणि । इय सत्त महारयणा, सोहंते अद्धचंदकीणं ॥14461 शक्ति, धनुष, गदा, चक्र, कृपाण, शङ्ख एवं दण्ड ये सात महारत्न अर्ध-चक्रर्तियों के पास शोभायमान रहते हैं । मुसलाइ लंगलाई, गदाइ रयणावलीओ चत्तारि । रयणाइं राजंते, बलदेवाणं णवाणं षि ॥1447॥

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