Book Title: Kranti Ke Agradut
Author(s): Kanak Nandi Upadhyay
Publisher: Veena P Jain

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Page 123
________________ - 102 1 त्रिपृष्ठादिक छह नारायणों की आयु क्रमशः चौरासी लाख, बहत्तर लाख, साठ लाख, तीस लाख, दस लाख और पैसठ हजार प्रमाण थी तथा दत्त-प्रभृति शेष तीन नारायणों की आयु क्रमशः बतीस हजार, बारह हजार और एक हजार वर्ष प्रमाण थी। प्रतिशत्रुओं की आयु का प्रमाण अपने-अपने नारायणों की आयु के सदृश हैं। एदे णव पड़िसत्तू, णवाण हत्थेहि वासुदेवाणं । णिय-चक्केहि रणेसुं, समाहदा जति णिरय-खिदि ॥14351 ये नौ प्रतिशत्रु युद्ध में क्रमशः नौ वासुदेवों के हाथों से अपने ही चक्रों के द्वारा मृत्यु को प्राप्त होकर नरकभूमि में जाते हैं । नारायणों का कुमार काल, मण्डलीक काल, विजय काल और राज्य काल पणुवीस-सहस्साइं, वासा कोमार-मंडलित्ताई। पढ़म-हरिस्स, कमेणं, वास-सहस्सं विजय-कालो ॥1436॥ प्रथम (त्रिपृष्ठ) नारायण का कुमार काल पच्चीस हजार वर्ष, मण्डलीक-काल पच्चीस हजार वर्ष और विजय काल एक हजार वर्ष प्रमाण हैं। तेसोदि लक्खाणि, उणवण्ण-सहस्स-संजुदाई पि । वरिसाणि रज्जकालो, णिहिछो पढ़म-किण्हस्स ॥1437॥ प्रथम नारायण का राज्य-काल तेरासी लाख उनचास हजार वर्ष प्रमाण निर्दिष्ट किया गया है। कोमार-मंडलित्ते, ते च्चिय बिदिए जवो विवास-सदं । इगिहत्तरि-लक्खाई, उणवण्ण-सहस्स-णव-सया रज्जं ॥1438॥ द्वितीय नारायण का कुमार और मण्डलीक-काल उतना ही (प्रथम नारायण के सदृश पच्चीस-पच्चीस हजार वर्ष, जयकाल सौ वर्ष) और राज्यकाल इकत्तर लाख उनचास हजार नौ सौ वर्ष प्रमाण कहा गया हैं। बिदियादो अद्धाइं, सयंभुकोमार-मण्डलिताणि। विजओ गउदी रज्ज, तिय-काल-विहीण-सठ्ठि-लक्खाई॥1439॥ : स्वयम्भू नारायण का कुमार काल और मण्डलीक-काल द्वितीय नारायण से आधा (बारह हजार पाँच सौ वर्ष), विजय काल नब्बे वर्ष और राज्यकाल इन तीनों (कुमार काल 12500 +म० का० 12500 + विजय० 90=25090 वर्ष) कालों से रहित साठ लाख (6000000-25090=5974910) वर्ष कहा गया हैं। तुरिमस्स सत्त तेरत, सयाणि कोमार-मण्डलित्ताणि । विजओ सीवी रज्जं, तिय-काल-विहीण-तीस-लक्खाइं ॥1440॥ चतुर्थ नारायण का कुमार और मण्डलीक काल क्रमशः सात सौ और तेहर सौ वर्ष, विजयकाल अस्सी वर्ष तथा राज्यकाल इन तीनों (कु० 700+म० 1300

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