Book Title: Kasaypahudam Part 15
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatvarshiya Digambar Jain Sangh
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दूसरे समय में की जानेवाली सूक्ष्म कृष्टियों के प्रमाण और अवस्थानका निर्देश तत्सम्बन्धी श्रेणिप्ररूपणाका निर्देश तत्संबन्धी अल्पबहुत्व आदिका निर्देश अन्य समयोंमें क्या विधि है इसका निर्देश प्रकृत में श्रेणिरूपणाका निर्देश सूक्ष्म कृष्टियोंकी रचना बादर कृष्टियों के द्रव्यके संक्रमसे होती है इससे लेकर अल्प बहुत्वका निर्देश
कब सक्ष्म कृष्टियों में वितना द्रव्य दिया जाता है इसका निर्देश
बादर साम्पराया अन्तिम समय क्या होनेपर प्राप्त होता है इसका निर्देश
उस समय लोभ आदि सब कर्मोंके स्थितिबन्ध और स्थिति सत्वका निर्देश
उसके अनन्तर समय में सूक्ष्मसाम्पराय होनेका निर्देश तब स्थितिकाण्डकविधि और गुणश्रेणि रचनाके कालका निर्देश
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गुणश्रेणिमें और अन्य स्थितियोंमें दिये जानेवाले द्रव्यका निर्देश
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प्रथमादि समयों में श्रेणिप्ररूपणा के साथ अन्य कार्यका निर्देश
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आगे गुणश्रेणिशीर्षके ऊपर एक स्थिति प्राप्त होनेतक किस विधिसे द्रव्य दिया जाता है इसका निर्देश
प्रथम समयवर्ती सूक्ष्मसा परायिक क्षपकके उदय में स्तोक प्रदेशपुंजका निर्देश अन्तिम अन्तरस्थितिके प्राप्त होने तक विशेषहीन द्रव्यका निर्देश
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उसके बाद विशेषहीन द्रव्य देता है इसका निर्देश ३२९ आगे मोहनीय कर्मका स्थितिघात होने तक यही क्रम चलता रहता है इसका निर्देश ३२९ प्रथम समयवर्ती सूक्ष्मसाम्परादिकके उत्कर्षण किये जानेवाले प्रदेशपुंजक्की श्रेणिप्ररूपणाका निर्देश
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