Book Title: Kasaypahudam Part 15
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatvarshiya Digambar Jain Sangh
View full book text
________________
वगढीए अंतर किट्टिअप्पा बहुअपरूवणा
* तदियाए संग किट्टीए अंतर किट्टीओ विसेसाहियाओ ।
६ ६९२. एत्थ वि विसेसपमाणं पुरुषं व वत्तव्वं ।
* कोहस्स तदियाए संगह किट्टीए अंतर किट्टीओ विसे साहियाओ ।
९ ६९३. कुदो ? दव्य विसेसादो । केत्तियमेत्तो विसेसो ? आवलियाए असंखेज्जदिभागेण खंडिदेयखंडमेत्तो, परत्थाणविसेसस्स दव्वविसेसाणुसारेण तहाभावेण दंसणादो। एवमुवरिमपदेसुं वि परत्थाणविसेसो एवं चैव वत्तव्वो ।
* मायाए पढमाए संगह किट्टीए अंतरकिट्टीओ विसेसाहियाओ । * विदियाए संगहकिट्टीए अंतरकिट्टीओ विसेसाहियाओ |
* तदियाए संगहकिट्टीए अंतरकिट्टीओ विसेसाहियाओ ।
* लोभस्स पढमाए सगह किट्टोए अंतर किट्टीओ विसेसाहियाओ । * विदियाए संगकिट्टीए अंतरकिट्टीओ विसेसाहियाओ ।
* तदियाए संगह किट्टीए अंतर किट्टीओ विसेसाहियाओ ।
२७७
६ ६९४. एदाणि सुत्ताणि सुगमाणि ।
* कोहस्स विदियाए सगह किट्टीए अंतर किट्टीओ संखेज्जगुणाओ ।
६ ६९५. को एत्थ गुणगारो ? चोद्दसख्वाणि । तं जहा - मायातदियसंगहकिट्टीए दबं
* तीसरी संग्रह कृष्टिको अन्तर कृष्टियाँ विशेष अधिक हैं ।
$ ६९२. यहाँपर भी विशेषका प्रमाण पहले के समान कहना चाहिए ।
क्रोध संज्वलनकी तीसरी संग्रह कृष्टिको अन्तर कृष्टियाँ विशेष अधिक हैं ।
६ ६९३ . क्योंकि इसमें द्रव्यविशेष पाया जाता है ।
शंका - विशेषका प्रमाण कितना है ?
समाधान – आवलिके असंख्यातवें भागसे भाजित एक भागप्रमाण है, क्योंकि परस्थानविशेष द्रव्यविशेष के अनुसार उसी प्रकारसे देखा जाता है । इस प्रकार उपरिम पदोंमें भी परस्थानविशेष इसी प्रकारसे कहना चाहिए ।
* मायासंज्वलन की प्रथम संग्रह कृष्टिकी अन्तर कृष्टियाँ विशेष अधिक हैं । * दूसरी संग्रह कृष्टिको अन्तर कृष्टियाँ विशेष अधिक हैं ।
* तीसरी संग्रह कृष्टिकी अन्तर कृष्टियाँ विशेष अधिक हैं ।
* लोभसंज्वलनकी प्रथम संग्रह कृष्टिकी अन्तर कृष्टियाँ विशेष अधिक हैं ।
* दूसरी संग्रह कृष्टिको अन्तर कृष्टियाँ विशेष अधिक हैं ।
* तीसरी संग्रह कृष्टिको अन्तर कृष्टियाँ विशेष अधिक हैं ।
$ ६९४. ये सूत्र सुगम है ।
* क्रोधसंज्वलनको दूसरी संग्रह कृष्टिको अन्तर कृष्टियाँ संख्यातगुणी हैं । ६९५. शंका - यहाँ पर गुणकार क्या है ?
समाधान - चौदह संख्या गुणकार है । वह जैसे -माया संज्वलनको तोसरी संग्रह कृष्टिका