Book Title: Karmagrantha Part 1 2 3 Karmavipaka Karmastav Bandhswamitva Author(s): Devendrasuri, Sukhlal Sanghavi Publisher: Parshwanath VidyapithPage 16
________________ (१५) विषय गाथा पृष्ठ xlii-xlvi २- ३ ४-६ १५७ १६० १६१ उत्तर प्रकृतियों का बंध, उदय, उदीरणा और सत्ता-सम्बन्धी यन्त्र १४३-१४८ कर्मग्रन्थ भाग-३ प्रस्तावना मंगल और विषय-कथन १४९ संकेत के लिये उपयोगी प्रकृतियों का संग्रह १५० नरकगति का बन्ध-स्वामित्व १५१-१५३ सामान्य नरक का तथा रत्नप्रभा आदि नरक-त्रय का बन्धस्वामित्व-यन्त्र १५४ पङ्कप्रभा आदि नरक-त्रय का बन्धस्वामित्व-यन्त्र १५५ तिर्यश्चगति का बन्धस्वामित्व ७-८ १५३-१५८ सातवें नरक का बन्धस्वामित्व-यंत्र पर्याप्त तिर्यञ्च का बन्धस्वामित्व-यंत्र मनुष्यगति का बन्धस्वामित्व पर्याप्त मनुष्य का बन्धस्वामित्व-यंत्र १६२-१६३ लब्धि अपर्याप्त तिर्यञ्च तथा मनुष्य का बन्धस्वामित्व-यंत्र १६४ देवगति का बन्धस्वामित्व १०-११ १६५-१६८ सामान्य देवगति का तथा पहले दूसरे देवलोक के देवों का बन्धस्वामित्व-यंत्र भवनपति, व्यन्तर और ज्योतिषी देवों का बन्धस्वामित्व-यत्र १६७ नववें से लेकर ४ देवलोक तथा नव अवेयक के देवों ___ का बन्धस्वामित्व-यंत्र १६९ अनुत्तरविमानवासी देवों का बन्धस्वामित्व-यन्त्र १७० इन्द्रिय और काय मार्गणा का बन्धस्वामित्व ११-१३ १६८-१७४ एकेन्द्रिय आदि का बन्धस्वामित्व-यन्त्र योग मार्गणा का बन्धस्वामित्व १३-१७ १७४-१८२ १६६ १७३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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