Book Title: Jain Vidya 25 Author(s): Kamalchand Sogani & Others Publisher: Jain Vidya Samsthan View full book textPage 9
________________ “ अर्द्धमागधी मिश्रित शौरसेनी प्राकृत में निबद्ध इस आराधना ग्रन्थ पर प्राकृतसंस्कृत आदि विभिन्न भाषाओं में अनेक टीकाएँ समय - समय पर रची गईं। इस समय उपलब्ध सबसे प्राचीन टीका अपराजित सूरि अपरनाम श्री विजय ( समय लगभग 700 ई.) की संस्कृत में रचित 'विजयोदया टीका' मानी जाती है जिसमें कुछ पूर्ववर्ती टीकाओं के भी उल्लेख हैं । ' "" "भगवती आराधना की लोकप्रियता उसकी टीकाओं से आँकी जा सकती है। उपलब्ध टीकाओं का विवरण इस प्रकार है. - 1. विजयोदया टीका यह एक विस्तृत संस्कृत टीका है जिसमें साधुओं की आचार-प्रक्रिया का विस्तार से व्याख्यान किया गया है और अपने कथन को प्राकृतसंस्कृत के उद्धरणों से पुष्ट किया गया है। अपराजित सूरि अथवा श्री विजय - कृत यह टीका कदाचित् प्राचीनतम टीका है। टीकाकार ने अपनी टीका में जिन पाठान्तरों का उपयोग किया है वे भाषाविज्ञान की दृष्टि से अधिक प्राचीन कहे जा सकते हैं। — दूसरी टीका आशाधर - कृत 'मूलाराधना दर्पण' है। इन्होंने अपराजितसूरि का अनुकरण इस टीका में किया है और इसे 'श्री विजय' के नाम से उद्धृत किया है । " “आचार्य शिवार्य या शिवकोटि के ग्रन्थ 'भगवती आराधना' पर प्राकृत, संस्कृत और हिन्दी में उपलब्ध टीकाओं में विक्रम की आठवीं शताब्दी के विद्वान अपराजित सूरि - कृत 'विजयोदया टीका', 11वीं शताब्दी के आचार्य अमितगति - कृत 'संस्कृत आराधना' और 13वीं शताब्दी के प्रसिद्ध आचार्य पण्डित आशाधर - विरचित 'मूलाराधना दर्पण' विशेष प्रसिद्ध है । " 66 'भगवती आराधना' की विजयोदया टीका में अनेक कथाएँ दी हैं जिनका सम्बन्ध विशेष रूप से आराधक की मरणावस्था से रहा है । " " आचार्य शिवार्य ने इस ग्रन्थ का नाम 'आराधणा' ही कहा है - 'वोच्छं आराधणा' (गाथा 1); ‘आराधणा सिवज्जेण ' ( गाथा 2160 ) । उन्होंने आराधना को समस्त प्रवचन का सार कहा है (गाथा 1497 ) । टीकाकार अपराजित सूरि ने भी अपनी टीका के अन्त में इसे 'आराधना टीका' ही कहा है ( आराधणा भगवदी, गाथा 2162 ) । उत्तरकाल में इसके आधार पर लिखे गये ग्रन्थ भी 'आराधना' के नाम से जाने जाते हैं, जैसे देवसेन-कृत ‘आराधनासार', अमितगति - कृत 'आराधना', आशाधर - कृत 'मूलाराधना दर्पण'। आराधना के आधार पर कुछ कथा ग्रंथों की भी रचना हुई है, जैसे- प्रभाचन्द्र (viii) -Page Navigation
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