Book Title: Jain Vidya 03
Author(s): Pravinchandra Jain & Others
Publisher: Jain Vidya Samsthan

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Page 22
________________ गायकुमारचरिउ में प्रतिपादित जीवनमूल्य -डॉ० कमलचंद सोगारणी मूल्यात्मक अनुभूति मानवीय चेतना का विशिष्ट आयाम है । दार्शनिक, साहित्यकार जीवन में प्रविष्ट कराने के लिए तत्पर रहते हैं । साहित्यकार अधिकतर घटना चक्रों के माध्यम से अनुभूतियों को संप्रेषित करने का प्रयास करते हैं । साकार हो सकें। साहित्यकार / और योगी इन अनुभूतियों को समाज के दार्शनिक चिन्तन की अमूर्त प्रक्रिया से तथा योगी सूक्ष्म संचरण की विधि से इन साहित्यकार काव्य की विभिन्न विधाओं का प्रयोग करके अभिव्यक्ति को लालित्य प्रदान करता है जिससे सौंदर्य के साथ शिव और सत्य जीवन में काव्यकार कुछ मूल्यों को अपने मन में संजोये रखता है । उनको वह काव्य के माध्यम से अभिव्यक्ति प्रदान करता है । अमर साहित्यकार जीवन के शाश्वत मूल्यों को निस्तेज होने से बचाता है । सामयिक मूल्य भी उसके काव्य में स्थान पाते हैं पर वे साहित्य की स्थायी सम्पत्ति नहीं बन पाते हैं । अपभ्रंश के महाकवि पुष्पदंत ऐसे अमर काव्यकार हैं जिन्होंने अपने खण्डकाव्य गायकुमारचरिउ में सामयिक मूल्यों के साथ शाश्वत मूल्यों को सौन्दर्यात्मक अभिव्यक्ति प्रदान की है । काव्य के नायक गायकुमार ( नागकुमार ) महाकवि पुष्पदंत की मूल्यात्मक चेतना का प्रमुखरूप से प्रतिनिधित्व करता है । अन्य चरित्रों के माध्यम से भी पुष्पदंत ने अपने मन में अंकित मूल्यों को दर्शाया है । हम इस लेख में महाकवि पुष्पदंत द्वारा वरित मूल्यों में से कुछ की चर्चा करेंगे ।

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