________________
महाकवि पुष्पदंत की विचारदृष्टि
एवं उपमानसृष्टि
- डॉ० श्रीमती पुष्पलता जैन
महाकवि पुष्पदंत दसवीं शताब्दी के अपभ्रंश के उन श्रेष्ठ कवियों में से हैं जिन्होंने पांडित्य और वैदूष्य के साथ ग्रंथों की रचना की है। उनकी पर्यवेक्षण शक्ति अनोखी थी, काव्य-प्रतिभा के धनी थे । स्वाभिमानी पंडित थे और थे मानवता के पुजारी । गिरिकन्दराओं में रहना उन्होंने उचित समझा, पर किसी की वक्रदृष्टि को वे सहन नहीं कर सके । दक्षिणवासी ब्राह्मणजन्मा पुष्पदंत जीवन के अन्त तक इसी विचारधारा पर अडिग रहे । उनकी विद्वत्ता, गंभीरता और सूक्ष्मचिंतन को भरत और नन्न ने भली-भांति समादृत किया फलतः महापुराण, जसहरचरिउ और गायकुमारचरिउ जैसे तीन उच्च कोटि के काव्य उनकी सरस्वती साधना की मणिमाला के तेजस्वी रत्न आज हमें उपलब्ध हो सके ।
विचारदृष्टि
महाकवि पुष्पदंत विचारों के धनी थे। कथासूत्र के साथ जोड़ दिया है। उन सभी पर कतिपय बिन्दुनों पर ही प्रकाश डाला जा रहा है।
उन्होंने हर क्षेत्र में अपने विचारों को विचार करना संभव नहीं इसलिए यहां ऐसे बिन्दुनों में धर्म अन्यतम है । धर्म