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२५. धर्मपरीक्षा रास २६. बंकचूल रास २७. पुष्पांजलि रास २८. अनंतव्रत रास २९. धनपाल रास
३०. चंदनषष्ठी कथा रास ३१. मौड़ सप्तमी कथा रास ३२. निर्दोष सप्तमी रास ३३. अक्षय दशमी रास ३४. दशलक्षण व्रतकथा रास ३५. सोलह कारण व्रत रास ३६. परमहंस रास ३७. प्रतिमा ग्यारह की रास ३८. चौदह गुण स्थानक रास ३९. अटावीस मूलमुग रास ४०. द्वादशानुप्रेक्षा रास ४१. कर्मविपाक रास ४२. समकित मिथ्यात रास ४३. पंचपरमेष्टी गुणवर्णन रास
___ यहाँ इनमें से 'आदिनाथ रास' का संक्षिप्त अध्ययन करने का प्रयास किया जाता है।
नामकरण -
इस कृति का उल्लेख तीन नामों से प्राप्त होता है - १ आदिनाथ रास, २ आदिनाथ पुराण रास एवं ३. आदिपुराण रास । परंतु इसका वास्तविक नाम आदिनाथ रास ही है जैसा कि कवि ने स्वयं भी सूचित किया है तथा ग्रन्थ की अंतिम प्रशस्ति में भी स्पष्ट लिखा है -
इति श्री आदिनाथ रास' आधार ग्रन्थ
प्रस्तुत कृति 'आदिनाथ रास' का मूल आधार-ग्रन्थ या उपजीव्य ग्रन्थ संस्कृत जैन महाकवि आचार्य जिनसेन द्वारा रचित 'आदिपुराण' है। ४७ पर्वो में विभाजित यह ग्रन्थ भारतीय ज्ञानपीठ जैसी स्तरीय प्रकाशन संस्था से अनेक वार प्रकाशित हो चुका है। यह ग्रन्थ जैनधर्म-दर्शन-संस्कृति का विशाल रत्नाकर माना जाता है। अनेक हिन्दी-कवियों ने इस ग्रन्थ पर टीकाएँ या वचनिकायें लिखी है तथा इसके उपाख्यानों को लेकर स्वतंत्र कृतियों का भी निर्माण किया है।
वैसे तो 'आदिनाथ' पर जैन-संस्कृति में ही नहीं, समूची विश्व संस्कृति में ही अनगिनत लिखे गये है, क्योंकि जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ को विश्व की प्राय: सभी संस्कृतियाँ किसी न किसी रूप में अपना सर्वश्रेष्ट
522 * छैन. यस. विमर्श