Book Title: Jain Ras Vimarsh
Author(s): Abhay Doshi, Diksha Savla, Sima Ramhiya
Publisher: Veer Tatva Prakashak Mandal

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Page 637
________________ राज्य की हद के बाहर, जहाँ से फिर भावनगर महाराजा उन्हें कभी पकड़ नहीं सके। तात्पर्य कि ऐसा प्रभाव था भर्तृहरि की वैराग्य नाट्य की कृति का प्रभाव की क्षमता के अन्य यथार्थ दृष्टातों में चिंतनीय है - ‘सत्य हरिश्चंद्र' कथानाटक बाल्यावस्था में देखकर प्रभावित हुए महात्मा गांधी का ‘रामकृष्ण परमहंस' फिल्म के अभिनेता प्रोफेसर का और राजा राममोहनराय के सतीप्रथा-छेदक, नारी उद्धारक नाटक की रसनिष्पतिका। ___अब हम खोज रहे है ठोस प्रभाव ब्रह्मगुलाल की भी इस नाट्यात्मक मुनिकथा का। आशा है विद्वद्जन-विशेष कर उत्तर भारत के दिगंबर आम्नाय के - हमें इस खोज में कुछ सहायता करेंगे। इस कथा से हमारा स्वयं-परिचय - इस प्रेरक नाट्यात्मक कथा की विवेचना आज यहाँ समारोह में प्रस्तुत करने से पूर्व उसका हमें एक सहज रूप से, कुछ वर्ष पहले परिचय हुआ । वर्तमान काल के अनुभव ज्ञानी हमारे सद्गुरुदेव भवित: जैन मुनि श्री सहजानंदघनजी भद्रमुनि-ने हमें श्री कल्याणमंदिर के 'ध्यानाज्जिनेश भवतो भवित: क्षणेन' श्लोक का रहस्यार्थ बतलाया था। जिनेश का गहन ध्यान करनेवाला ध्याता भी 'ईलिका-भ्रमर' न्याय से एक दिन जिनवत् बन जाता है। - यह उसका तात्पर्य-सार है । इस उपक्रम में 'बहुरूपिया वेशधारक मुनि' भी यदि ठीक से अभिनय करे तो वह मुनिदशा की गहराई में अनुभूति करते हुए सच्चा मुनि बन जाता है - 'आत्मज्ञान वहाँ मुनिपना' (श्रीमद्जी), 'अप्पणाणेण मुणि होई' (आचारांग सूत्र) वाला वास्तविक अर्थ में मुनि । ऐसे एक बहुरूपिया मुनि के उत्तर प्रदेश में आगरा निकट, हो जाने की उन्होंने बात की थी। उस मुनि की कथा को हम खोज रहे थे। योगानुयोग संयोग से श्वेतांबर-दिगंबर दोनों आम्नायों के रासो साहित्यकथा साहित्य की हमारी अल्प-सी चल रही समन्वयी प्रवृत्ति-प्रक्रिया में हमने भगवान महावीर की जीवनकथा ‘महावीर दर्शन' के रिकार्डिंग के बाद 'नेमराजुल' की एवं गिरनारजी की कथा का भी रिकार्डिंग किया था । इसी उपक्रम में दिगंबर आम्नाय के 'दशलक्षण व्रतकथा' एवं 'रत्नत्रय व्रत कथा' एवं 'सोनागिरी की यात्रा' आदि के रिकार्डिंग के अनुसंधान में हमें दिगंबाराचार्य श्री निर्मल सागरजी से यह ‘ब्रह्मगुलाल मुनि की कथा' उपलब्ध हुई। इसे 588 * छैन. स.विमर्श

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