Book Title: Jain Ras Vimarsh
Author(s): Abhay Doshi, Diksha Savla, Sima Ramhiya
Publisher: Veer Tatva Prakashak Mandal

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Page 626
________________ इस मुनि उपदेश पद को गहराई से पढ़े तो प्रश्न उठता है कि सारी 'स्वामी ब्रह्मगुलाल मुनि की कथा' के कृतिकार कौन है ? यहाँ पद्यान्त में लिखा है 'कहते ब्रह्मगुलाल मुनि' और गीतकथा के अंत में (पूर्वोक्त तीन में से किसी भी पुस्तक-प्रति में) रचयिता का स्पष्ट नामोल्लेख नहीं है, तो वास्तव में कृतिकार किसे माने ? उपर्युक्त मुनि-उपदेश पद के अनुसार स्वयं स्वामी ब्रह्मगुलाल को ? इस विषय में दिगंबर आम्नाय के विद्वानों और आचार्यो से हमारा विचार-विमर्श-पृच्छा पत्रव्यवहार गतिशील है। देखें, क्या अधिकृत जानकारी प्राप्त होती है। परंतु रासो साहित्यवत् प्रसाद ओज-माधुर्य के सभी काव्यगुणो युक्त इस पद्य कथा की मूल कथा जानने हेतु आप सहज स्वाभाविक ही पूछेगे कि - कथा क्या है ? तो प्रथम यहाँ हम कथा-संक्षेप प्रस्तुत कर दें इस रासा-सम कृति का और बाद में उसकी तत्त्वाभिनिवेशी समीक्षा भी। कथा तो है सरासर सच्ची और विस्मयजनक। ग्रंथकृतिकार उसे 'स्वामी ब्रह्मगुलाल मुनि का कौतुहल में वैराग्य' शीर्षक देकर प्रभु महावीर की वंदना कर कोशमालिनी छंद की चाल में प्रथम ढाल का मंगलारंभ इन प्रभावोत्पादक गान-शब्दों में करते है - 'स्वामी ब्रह्मगुलाल मुनि की - सुनो कथा अचरज कारी। हंसी खेल में स्वांग रचा और जिनमत की दीक्षा धारी ॥ ॥टेक।। अब से प्राय: चारसौ अठ्ठाइस (४२८) वर्ष पूर्व का विक्रम संवत १६४० लगभग का समय... उत्तर भारत में आगरा जिले के फिरोजाबाद कस्बे का 'टापे' नामक विशाल, मग्न खंडहरोंयुक्त, गाँव.... तत्कालीन राजमंत्री 'हल्ल' की धर्मपत्नी एवं सुप्रसिद्ध संपन्न वैश्य श्री शाहन्शाए की सुंदर सुकन्या ऐसी एक धन्यमाता की कुक्षि से एक होनहार बालक का जन्म... | नाम रखा गया ब्रह्मगुलाल। __ स्वस्थ, सुडोल, सौष्ठवपूर्ण, महापुरुष के लक्षणयुक्त सुंदर शरीर, संपन्न परिवार में उत्तम ढंग से किया गया लालन-पालन और श्रेष्ठ विद्वान के द्वारा दी गई शिक्षा-दीक्षा । फलतः ब्रह्मगुलाल धर्मशास्त्र, गणित, व्याकरण, साहित्य, ब्रह्म गुलाल मुनिकथा: * 577

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