Book Title: Jain Rajnaitik Chintan Dhara
Author(s): Rameshchandra Jain
Publisher: Arunkumar Shastri
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147. वही 11/112-113
184. पाचरित 66/11-12 148, हरिवंशपुराण 11/114-125
185. पद्मचरित 66/15-16 149. वही 11/126-129
186. वही 66/17-18 150. वहीं 11/131
787. वही 37170 151. आदिपुराण 37/20
188. हर्षचरित एक सांस्कृतिक अध्ययन पृ. 152, वही 41/155
217 153. यही 37/23
189. वही पू. 219 154. वहीं 37/24
190. यही पृ. 217 155. वहीं 37/32
191. पद्मचरित 57/66 156. वहीं 37/33
192 वही 57144 157. वही 37/34-36
193. वही 57152 158. वहीं 37/60
194. वही 57158 159. वही 37/61
195. वही 102/195 160..वहीं 37162
196. सामन्तगादुग्यभूमिबलगव्यिओ हरिभद्रः 161, वहीं 37/63
समराइकहा पृ. 147 162. बही 37/64
197. वही पृ. 147-148 153. वही 37/65
-98 डॉ.पीचन्द्र शास्त्री : हरिभद्र के प्राकृत 164. वहीं 37166
कथा साहित्य का आलोचनात्मक 1165. वहो 37168
परिशोलन पृ. 261 166. वही 37169
199. अपराजितपृच्छा पृ. 203. 8215-10. 167. वही 37/70
___ हर्षचरित एक सांस्कृतिक अध्ययन प्र. 168. आदिपुराण 37171
220 169. वही 37172
200. चन्द्रप्रमचरित 15/15 170, वहीं 37/13
201. हरिवंशपुराण 53/47 171. शुक्रनीति 1/182-786
202. उत्तरपुराण 68/383 172, कोटिलीय अर्थशास्त्रम् 9/1
203. नीतिवाक्यामृत 3070 173. हरिवंशपुराण 60/136
204. वही 30071 174. वही 53/49-50
205, वही 30772 175. वही 53152-53
206. उत्तरपुराण 68/384 176, हरिवंशपुराण 26/6-14
207. नीतिवाक्यामृत 29/98 177. बही 26/15-22
208. वही 29/97 178. वही 26/23
209. वही 3013 179. हरिवंशपुराण 2614
210. उत्तरापुराण 58/383 180. वहीं 53/47
211, आदिपुराण 34136 181.डॉ.सस्यप्रकाश :कुमारपाल चौलुक्य पृ. | 212 वही 43/214
213. अरिविश्रेमभितोऽप्यरिः ।। आदिपुराण 192. शुक्रनीसि 1/183
43/322 183.डॉ.सत्यप्रकाश :कुमारपाल चौलुक्य पृ. | 214. पदाचरित 1971

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