Book Title: Jain Rajnaitik Chintan Dhara
Author(s): Rameshchandra Jain
Publisher: Arunkumar Shastri

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Page 121
________________ 142. वहीं 11/6 राज्य और न्यायपालिका पृ. 147-148 143. वहीं 11/8 179. आदिपुराण 45/141 144. वही 11/14 180. वही 34/28 145. यही 11/26146, वरांगचरित 12/24 181. वहीं 34/29 147. चंद्रप्रभचरित 12/57 182. यहीं 471333-334 148. कौटिलीय अर्थ 183. वही 32/14 149. नोतिवाक्यामृत 10/26 184, वही 28/60 150, वही 10/29 185. वही 34/87 151. नीतियाक्यामृत 10/31 186. वहीं 32/85-86 152. वहीं 10/32 187, वही 30/120-121 153. वही 10/33 188. नीतिवाक्यामृत 111 154. वही 10/34 189. वहीं 11/2 155. नीतिवाक्यामृत 10/35 190. वरांगचरित 8/4 156. वही 10/27 191. हरिवंशपुराण 18/10 157. वही 10/28 192. वही 23/92 158. वहीं 10/49 193. वहो 57/12-13 159. वहीं 10:42 194. आदिपुराण 5/7 160. वही 10/43 195. वहाँ 38/207 161. वही 10/144 196. वही 8/225 162. द्विसंधान महाकाव्य 11/2 197, वही 32/1 163. कौटिलीय अर्थशास्त्रम् 7/14 798. वही 32/39 164, डॉ. एम. एल. शमां : नीतिवाक्यामृत में | 199. वहीं 15/15 राजनीति पृ. 97 200. बहो 31/20 165. वरांगचरित 14/71, 19/18, 19125, 201, चन्द्रप्रभचरित 7/57 ___18/714, 14/75, 11/63 202. नीतिवाश्यामृत 12/1 166. कौटिलीय अर्थशास्त्रम् 1/17 203. नौनियाक्यामृत 12:2 167, चन्द्रप्रभचरित 16/24 204. वहीं 30:96 168. वही 1/83 205. वही 30:77 169. वही 12/57 206.डॉ. नेमिचन्द्र शास्त्री : मंस्कृत काव्य के 170. वरांगचरित 11757 ___ विकास में जैन कवियों का योगदान पृ. 171. डॉ.एम.एल.शर्मा : नीतिवाक्यामृत में 524 राजनीति, पृ.90 207. चतुथ्यों मन्त्रिभिः दौवारिकेच 172. वरांगचरित 2/24 __ प्रासपाणिभिः ॥ कौटिलीय अर्थशास्त्रम : 173. चन्द्रप्रभचरित 12/111 174, वधीमानचरित 7/54 208. वासुदेवशरण अग्रवाल : हर्षचरित एक 175. वही 4:47 सांस्कृतिक अध्ययन पृ. 44 176, वरांगचरित 4 209. चन्द्रप्रभचरित 11/2 177. ऋग्वेद 760/12 वरांगचरित 30:95 ||| 210. वही 17657 178, हरिहरनाथ त्रिपाठी : प्राचीन भारत में || 2]]. आदिपुराण 8/136. 35144 20

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