Book Title: Jain Rajnaitik Chintan Dhara
Author(s): Rameshchandra Jain
Publisher: Arunkumar Shastri
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179. वही 12/2 180. वही 5/52 181. वही 4156 182. वहीं 4154 183. वहीं 4/55 184, चन्द्रप्रभचरित 4157 185. वहीं 17157 186. वही 4/58 187. वही 16/23 188. क्षत्रचुडामणि 10/12 189. वही 10/23 190.आदिपुराण 34/24-25 191. वही 29/17 192. वही 35/18 193. यही 34/55 194, वहो 34:42 195. वही 35/84 196. वही 34/40 197. आदिपुराण 34/46 198, वर्धमानचरित 6/61 199. यही 4171 200. यही 7/42 201. वही 8/39 202. वही 4/86 203, नीतिवाक्यामृत 10/153-154 204. वही 30/53 205. नोतिवाक्यामृत 30/54-60 206, वही 10/127 207. यही 10/29 208. वही 10/141 209. वही 30/52 210, वही 2672
211, वही 26/23 212, वहीं 26/24 213. वही 27167 214. वही 29137 215, वही 29/32 216. वही 29133 217. वही 29/34 218. वही 29135 219. वही 29/64 220. चन्द्रप्रभवरित 12/14 221. चन्द्रप्रमचरित 12/39 222. यही 12/102-103 223. वही 12/88 724. वही 12172 225. वही 12/47 226. वही 12/35 227. वही 5/23 228. यही 12/31 229. वाही 12165 230, वही 12/38 231. वसंगचरित 20/15 232. वही 28/67 233. बही 16/44 234, वरांगचरित 16/45 235. यही 1676-77 236. वरांगचरित 16/18 237. वरांगतचरित 16/53 238, कौटिलीय अर्थशास्त्रम्
(चाणक्य प्रणीत सूत्रम्) 55-58 239. कौटिलीय अर्थशास्त्रम् 91 पृ. 725 240. वही 9/1 पृ. 725-726 241. कौटिलीय अर्थशास्त्रम् 91 पृ. 727 242. वही 11 पृ.727-728
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