Book Title: Jain Rajnaitik Chintan Dhara
Author(s): Rameshchandra Jain
Publisher: Arunkumar Shastri

View full book text
Previous | Next

Page 185
________________ Į f 18. ऋग्वेद (सूरत, 1950) 19. अर्थवेद (सूरत, 1950) 20 महाभारत शान्तिपर्व - चित्रशला प्रेमा 21. रामायण 22. पाश्वंभ्युदय - जिनसेन (सम्पादक मौ. गौ. कोटारी) जैन संस्कृति संरक्षक संघ, सोलापुर (प्रथम संस्करण) 23. गोभट्टसार (कर्मकाण्ड ) 24. उपासकाध्ययन - सोमदेव सूरि (अनुवाद. पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री ) भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन 1964 (प्रथम संस्करण) 25. साहित्य दर्पण- विश्वनाथ (अनु. डॉ. सत्यव्रतसिंह), चौखम्भा विद्याभवन चौका वाराणसी, प्रथमावृत्ति 1957 26. मनुस्मृति- मनु (सम्पादक पं. रामतेज शास्त्री) पंडित पुस्तकालय, काशी सं. 2004 27. कौटिलीय अर्थशास्त्र. कौटिल्य (अनु. वाचस्पति गैरोला ) चौखम्भा विद्याभवन, वाराणसी1, प्रथम संस्करण 1962 . 175 26. शुक्रनीतिसार जीवननन्द विद्यासागर, कलकत्ता प्रथम सं. 1881 ई. 29. शुक्रनीतिसार (अनु० विनयकुमार सरकार ), इलाहाबाद 30. कामन्दकीय नीतिसार कामन्दक (भाषा टीका- पं. ज्याला प्रसाद मिश्र संवत् 29 शक 1874 प्र. खेमराज श्रीकृष्णदास मालिक वैङ्गकटेश्वर स्टीम प्रेस, बम्बई । 31. याज्ञवल्क्यस्मृति याज्ञवल्क्य (हिन्दी व्याख्या- उमेश चन्द्र पाण्डेय) चौखम्भा प्रकाशन - वाराणसी (प्रथम संस्करण- 1967 ) 32. वराङ्गणचरित- जटासिंहनन्दि सम्पादक डॉ. ए. एन. उपाध्ये मासिक चन्द्र दिगम्बर जैन ग्रन्थमाला. हीरा याग बम्बई प्रथम आवृत्ति 1938 33. मुद्राराक्षस- विशाषदत्त 34. कादम्बरी एक सांस्कृतिक अध्ययन- डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल, चौखम्भा विद्याभवन, चौक वाराणसी | 35. महावीर चरित्र असंग (अनु. पं. खूबचन्द शास्त्री) प्र. मूलचन्द किशनदास कापड़िया। दिगम्बर जैन पुस्तकालय, गाँधी चौक, सूरत ( द्वितीययावृत्ति ) 36. नीतिवाक्यामृत में राजनीति. डॉ. एम. एल. शर्मा भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन, प्रथम संस्करण. सितम्बर 1971 37. प्राचीन भारत में राज्य और न्यायपालिका- हरिहरनाथ त्रिपाठी, मोतीलाल बनारसीदास, बंगलो रोड़, जवाहर नगर देहली, प्रथम संस्करण (1965) 38. हिन्दू सभ्यता डा. राधाकुमुद मुकर्जी, राजकमल प्रकाशन, देहली, द्वितीय संस्करण (1958) 39. प्राचीन भारत का राजनीतिक तथा सांस्कृतिक इतिहास- विमल चन्द्र पाण्डेय सेण्ट्रल बुक डिपो इलाहाबाद, तृतीय संस्करण (1968)

Loading...

Page Navigation
1 ... 183 184 185 186