Book Title: Jain Rajnaitik Chintan Dhara
Author(s): Rameshchandra Jain
Publisher: Arunkumar Shastri
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सहायक ग्रन्थों की सूची 1. पदमचरित (प्रथम भाग) मूल लेखक - रविषेण (अनु. पं. पन्नालाल साहित्याचार्य),
भारतीय ज्ञानपीठ, काशी, प्रथम आवृत्ति, जुलाई 1958 2. पद्मचरित (द्वितीय भाग) मूललेखक - रविधेग (अनु. पं. पनालाल साहित्याचार्य),
भारतीय ज्ञानपीठ, काशी, प्रथम आवृत्ति, फरवरी 1959 पदमचरित (तृतीय भाग) मूल लेखक - रविषेण (अनु. पं. पन्नालाल साहित्याचार्य),
भारतीय ज्ञानपीठ काशो, प्रथम आवृत्ति, नवम्बर 1959 4. वराङ्गगचरित- मूल लेखक - -जटासिंहनन्दि, (अनु. प्रो. खुशालचन्द गोरावाला),
मारतीयवर्षीय दिगम्बर जैन संघ, चौरासो, मथुरा, वीर नि. सं. 2480 हरिवंशपुराण - मूल लेखक - आचार्य जिनसेन (अनु. पं. पन्नालाल, साहित्यचार्य), भारतीय ज्ञानपीठ काशी, प्रथम आवृत्ति, 1962 ई. आदिपुराण ( भाग 1) मूल लेखक - आचार्य जिनसेन (अनु, पं. पन्नालाल साहित्यचार्य)
भारतीय ज्ञानपीठ, काशी, सन् 1963 ई. 7. आदिपुराण (भाग 2) मूल लेखक - आचार्य जिनसेन (अनु. पं. पन्नालाल साहित्याचार्य),
भारतीय ज्ञानपीठ, काशी, सन् 1965 द्विसन्धान महाकाव्य , मूल लेखक - महाकवि धनञ्जय, सम्पादक-खुशालचर गोराबाला, भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन सन् 1970 ( प्रथम संस्करण) सम्रचूड़ामणि-वादोभसिंह सूरि (अनु. मोहन लाल शास्त्री) सरल जैन ग्रन्थ भण्डार, लाखा भवन, पुरानी चरहाई, जबलपुर वीर नि. सं. 2480 (द्वि. सं.) गचिन्तामणि - मुल लेखक- यादीभसिंह सूरि (अनु. पं. पन्नालाल साहित्याचार्य).
भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन, 1968, प्रथम संस्करण (1958 ई.) 11, उत्तरपुराण- मूल लेखक- आचार्य गुणभद्र (अनु. पं. पन्नालाल साहित्यचार्य) भारतीय
ज्ञानपीठ, काशी, द्वितीय आवृत्ति 1968 चन्द्रप्रभचरित - वोरनन्दि (सम्पादक पं. दुगाप्रसाद) निर्णयसागर प्रेस, बम्बई, द्वितीय
संस्करण 1902 ई. 13. वर्धमानचरित - मुल ले. महाकषि असग (अनु. पं. पन्नालाल साहित्याचार्य).जैन मंस्कृति
संरक्षक संघ सोलापुर, 1974 14. चन्द्रप्रभचरित . वोरनन्दि (अनु. रूपनारायण पाण्डेय, जैन साहित्य प्रसारक कार्यालय,
चन्दाबाड़ी, गिरगाव बम्बई, 1916 ई. 15. नीतिवाक्यामृत - सोमदेव सूरि (अनु. पं. सुन्दरलाल शास्त्री, श्री महावीर जैन ग्रन्थमाला,
23 दरियागंज, देहली (नवम्बर1950), प्रथमवृत्ति 16. रघुवंशमहाकाव्य- कालिदास (अनु. डॉ. बाबूराम त्रिपाठी) महालक्ष्मी प्रकाशन, आगरा
2 (1970-71) 17. अपराजिपृच्छा

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