Book Title: Jain Rajnaitik Chintan Dhara
Author(s): Rameshchandra Jain
Publisher: Arunkumar Shastri

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Page 172
________________ 162 करना चाहिए। सेना को रोकने वाला कौन है कहाँ से आया है ? इसकी सेना कितनी है, यह कितना बलवान् है इन सब बातों का बिना विचार किए ही उसकी सेना के सामने नहीं जाना चाहिए। प्राप्त नहीं हुई वस्तु का प्राप्त होना और प्राप्त की हुई वस्तु की रक्षा करना ये दोनों ही कार्य किसी विजिगीषु राजा का आश्रय लिए बिना सुखपूर्वक प्राप्त नहीं हो सकते ! इस संसार में जो समानशक्तिशाली है, उनमें परस्पर जय और पराजय का निर्णय नहीं हो सकता है। AN... . 1. हरिवंशपुराण 11/60 2. वहीं 11/78 3. वही 36/60 4. यही 30/60 5. वही 36/55-57 6. वही 36/55 7. गद्मचिन्तामणि, 8. आदिपुराण 4503 9, वही 35/64 10. वही 44/82 11, उ.पु. 58/65 12. यही 58/102 13. चन्द्रप्रभचरित 12:5 14. नीतिवाक्यामृत 13/1 15. पद्मचरित 39/85 16. वही 66/13 17. वही 39187 18. आदिपुराण 35/25-25 19. वही 35/23 20. वही 35/20 21. नीतिवाक्यमृत 13/2 22. द्विसंधान महाकाव्य 13/15 23. वही 13/36 : 24. वही 18/125 25. वही 5/14 26. आदिपुराण 44/136-137 27, 'वही 34/89 28. नौसिवाक्यामृत 13/4 29, आदिपुराण 43/202 30. नीतिवाक्यामृत फुटनोट) 31. आदिपुराण 43/202 32. पावरित 66/90 33. वही 6614 34. बही 66/54 35. वही 8/187 36. वही /88 37. नीतिवाक्यमृत 13/5 38, वहो 13/6 39, वहीं 1317 40. वहीं 13.8 4' मही 1279 42. वहो 13/10 43. वही 13/11 44, वही 13/12 45. नीतिवाक्यामृत 13/13 46. वहीं 13/14 47. वही 13/15 48. बही 13/16 49. वहीं 13/17 50. नीतिवाक्यामृत 13/19 51. षही 13/18 53. वहीं 13/20-21 53. वही 13:22 54. वही 13/24 55. वही 13/23 56. यही 27/63 57. बही 27/64 58. वही 31/29 59. वही 15/17 60: वही 13/25 61. नीतिवाक्यामत 14/1

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