Book Title: Jain Rajnaitik Chintan Dhara
Author(s): Rameshchandra Jain
Publisher: Arunkumar Shastri
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-::-::--::-:--:---:- 372. द्वि. म. 2/8
408. वहीं पृ. आदिपुराण 35/175 373. द्वि. म. 279
409. वही 46/49 .' 374. द्वि. म. 2/10
410. वही 35:130-131 375.द्वि. म, 2/18, 20
411. वहो 28/137,4/124 276. वि. म. 2/21
412. वही 35/106 377. द्वि. म. 2/26
413. वही 35/112-113 378. द्वि. म. 2/27
414. वही 28/91 379. दि. म. टीका 2/29
415. आदिपुराण 43/729 380. द्वि. म.2/29
416. उत्तरपुराण 51/5 381, द्वि. म. 2/30
417. वही 52/6 382. वि. म.4/16
418. वही 5279 383. घही 6/14
419. उत्तरपुराण 53/4 384. वही 7/50
420. वही 54/112 385. बही 7/22
421. वही 54/113 386. दि.व. म. 10/25
422. वही 542114 387. दि.म. 12/37
423. वही 54/115 388, द्वि. म. 13/34
424. वही 5516 389. वहीं 17133
425. बही 55/ 390. वहीं 183
426, वही 55/10 391. यही 18/4
427. वही 56/7 392. द्वि, म. 13/15, 18/5
428. वहीं 57/6 393. द्वि. म. 18/123
429. वही 574 394. वहीं 2/22
430, उत्तरपुराण 58/26 395. क्षत्र चूड़ामणि 11/2
431.वही 58/74 396. वादीभसिंह : गधचिन्तामणि पृ. 30- || 432. वहीं 59:4 31
433. वहो 62/31 397. क्षत्र चुडामणि 1/5
434. बही 62/33 398. गद्यचिन्तामणि तृतीय लम्भ पृ. 159- 435. वही 62/34-65 160
436. वहीं 66:69 399. गनिन्तामणि एकादशलम्भ पृ. 429 437. वही 76/112 400. वही पृ. 28
438. वही 5/8 401, अहो पृ. 28
439, वही 66/69 402, छ.चू, 1/6
440. उत्तरपुराण 5714 403, गद्यचिन्तामणि प्रथमलम्भ पृ. 28 441, चन्द्रप्रभचरित 1142 404. वही पृ. 29
442. वही 1/43 405. वही पृ. 27
443. चन्द्रप्रभचरित 1/44 406. नहीं पृ. 28
444. चन्द्रप्रभवरित 1/46 407. वही पृ. 27-29 .
445. चन्द्रप्रभचरित 12/15

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