Book Title: Jain Rajnaitik Chintan Dhara
Author(s): Rameshchandra Jain
Publisher: Arunkumar Shastri
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फुटनोट
1. द्विसंधान महाकाव्य 3/2 2. द्विसंधान महाकाव्य 3/23 3. वही 3/24 4. द्विसंधान महाकाव्य 3/25 5, वही 3/26 6. वही 3/35 7. द्विसंधान महाकाव्य 3/40 8. द्विसंधान महाकाव्य 3/30 9. द्विसंधान महाकाव्य 3/40 10. वही 3/41 11. वही 3/43 12. आदिपुराण 4/134 13. वही 10/141 14. वही 4/138,46/340 15. उत्तरपुराण 54/132 16. वहीं 54/133 17. वही 54/134 18. घही 54/135 19. वही 54/126 20. उत्तरपुराण 62/417 21. वही 68/58-59 22. बहो 68/75-76 23. वर्धमानचरित 1151 24, वही 1/64 25. वहीं 4/25 26. यही 1/61 27. वहीं 10/64 28. नोतिवाक्यामृत 11/4 29. वही 1778 30. वही 5/39 31. नीतिवाक्यामृत 11/6 32. वही 24/73 33. वही 110
34. वही 24/74 35. वही 2475 १. उदी 24776-7: 7. वही 24/78 38. वही 24/80 39. वही 24/81 40. वही 24/84 41. वही 29/17 42. वरांगचरित 29/42 43. घरांगचरित 29133 44. वहीं 29:34 45. रांगचरित 29/35 46. वरांगचरित 29/39 47. गद्यचिन्तामणि द्वि. लम्म पृ. 102 48. गधचन्तामणि, द्वितीय लम्प, पृ. 102 - 102 49. वही द्वितीय लम्भ पृ. 106-107 50. गद्यचिन्तामणि, द्वितीय लम्भ, पृ. 107- Pos 51. गद्यचिन्तामणि, द्वितीय लष्म पृ. 109-115 52. गधचिन्तामणि, द्वितीय लम्भ पृ. 115-116 53. गद्यचिन्तामणि, पृ. 116-177 54, वही. एकादशल्भ पृ. 424-425 55. चन्द्रप्रभचरित 4.33 56. वही 4/34 57. वही 4/35 58. वहीं 4.36 59. वही 4:37 60. वही 4149 61, वहीं 4/39 62. वही 4:40 63. वहीं 4/41 64. वही 4:42 65, चन्द्रप्रभचारित 4/43
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