Book Title: Jain Rajnaitik Chintan Dhara
Author(s): Rameshchandra Jain
Publisher: Arunkumar Shastri

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Page 117
________________ 107 नैमित्तिक ग्रहों के शुभोदय आदि का निरूपण करने वाला अधिकारी, जो राजा के प्रयाण ate का समय बतलाता था । भाण्डागारिक - कोष्ठागार अथवा भाण्डागार में नियुक्त अधिकारी । पौर - पौर शब्द का अर्थ सामान्यतया नगरवासी किया जाता है, किन्तु वस्तुतः पौर तथा जनपद परिभाषिक शब्द हैं और इन नामों की हमारे देश में सुसंगठित संस्थायें थीं। इनका मुख्य कार्य व्यवस्था सम्बन्धी था। इन्हें तत्कालीन भारतवर्ष का व्यवस्थापक मण्डल कहा जा सकता है । डॉ. जायसवाल ने इन संस्थाओं के व्यवस्था सम्बन्धी सम्मिलित कार्य मुख्यतया निम्नलिखित बतलाए हैं - (1) युवराज को नियुक्ति पर विचार । (2) राजा का अभिषेक करना, अयोग्य व्यक्ति को राजा न बनने देना और अन्यायो राजा को सिंहासन से उतारना । (3) प्रधानमंत्री को निर्वाचित करना तथा उसके व्यवहार पर दृष्टि रखना । (4) राजनीति सम्बन्धी विषयों का विचार तथा विशेष अवस्थाओं में असाधारण करों की स्वीकृति । यहत्ता - प्रमथनों को पहचर कहा जाता था। ग्राम के मुखिया लोगों को ग्राममहत्तर और शहर के प्रधान पुरुषों को पौरमहत्तर कहने की परिपाटी प्राचीन साहित्य में मिलती है। गृहपति चक्रवतों की निधियों और रत्नों में शामिल होने वाला राज्य का अंगभूत अधिकारी 243 । - ग्राममुख्य गाँव का मुखिया 1 लेखवाह - ( पत्रवाहक) एक स्थान से दूसरे स्थान पर सन्देश भेजने के लिए राजा लोग लेखवाह (पत्रवाहक) रखा करते थे। उन्हें उस समय भी भाषा में लेखहारि245 कहा करते थे । ये लोग मस्तक पर लेख को धारण करते थे, इस कारण उन्हें मस्तकलेखक भी कहा गया है 2-0 लेखक - पत्र को पढ़ने, लिखने आदि के लिए लेखक नियुक्त किए जाते थे। राजा पृथ्वीवर के यहाँ सन्धिविग्रह को अच्छी तरह जानने वाला एवं लिपियों को जानने में निपुण लेखक था। भोजक 269 प्रान्तों के शासक । - गोष्ठमहत्त२२० - गोपों का मुखिया । पुररक्षक कोतवाल । - पालक 250 - रक्षक | धर्मस्थ[s] - धर्माधिकारी । आयुधपाल - आयुधशाला की रक्षा करने वाला अधिकारी 1 याममहत्तर 235 - अधिकारियों की नियुक्ति जो व्यक्ति जिस कार्य में कुशल हो, उसे उस कार्य में नियुक्त करना चाहिए। ब्राह्मण, क्षत्रिय व सम्बन्धियों को अधिकारी नहीं बनाना चाहिए। ब्राह्मण अपनी जाति स्वभाव के कारण ग्रहण किया हुआ धन बड़ी कठिनाई से देता है जो राजा अपने उपकारो पुरुष को अधिकारी पद पर नियुक्त करता है यह पूर्वकृत उपकार राजा के समक्ष प्रकट कर समम्त राजकीय धन हडप लेता है। क्षत्रिय अधिकारी विरुद्ध होकर तलवार दिखलाता है 260 सम्बन्धी -

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