Book Title: Jain Hiteshi 1914 Ank 03
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 15
________________ . विविध प्रसंग। दिन मानसिक श्रम करनेके बाद सातवें दिन पूरा विश्राम करना चाहिए। एक दिन लिखना पढ़ना बन्द रखनेसे आगेके छह दिनोंमें उत्साहके साथं अधिक काम किया जाता है। २ शामको पाँच साढे पाँचके बाद आठ बजे तक किसी भी मानसिक श्रम करनेवाले पुरुषको घर नहीं रहना चाहिए । इस समय थोड़ेसे परिश्रमकी और शुद्ध वायुसेवनकी बहुत बड़ी आवश्यकता है। ३ लम्बी छुट्टियोंमें आरोग्यप्रद स्थानोंमें हवा बदलनेके लिए जाना चाहिए। यह बड़ा ही लाभकारी है । इससे मनकी थकावट मिट जाती है, मस्तक ठिकाने आ जाता है, शरीरका श्रम बढ़ जाता है, स्वास्थ्य सुधर जाता है और एक तरहकी नई शक्ति आ जाती है । ३ दूध,, घी आदि पौष्टिक पदार्थोंका आहार करना चाहिए। दुग्ध जीवनदाता है। शुद्ध दूधका सेवन बहुत उपकारी है। . आशा है कि शिक्षित भाई लेखककी बातों पर ध्यान देंगे और शरीररक्षाके विषयमें अधिक सावधान हो जायेंगे । ५ जैन-जनसंख्याके ह्रासका प्रश्न। . दिसम्बरकी छुट्टियोंमें रायकोट नामक स्थानमें स्थानकवासी भाइयोंकी पंजाब प्रान्तिक कान्फरेन्सका जल्सा हुआ था। उसकी रिपोटसे मालूम हुआ कि स्थानकवासी जैन भाइयोंमें भी जैनोंकी जनसंख्या घटनेकी चर्चा होने लगी है और उसकी ओर पढ़े लिखे लोगोंका ध्यान विशेषरूपसे आकर्षित हुआ है । पटियालाके लाला रामलालजी ओवरसियरने इस विषयको उपस्थित करते हुए Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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