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लुकमानका कौल।
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करनेवाला जबर्दस्ती चोर बनाया जाता है उसी तरह एक राजभक्त शान्त जाति पर राजद्रोहका झूठा दोष मढ़ दिया जायगा तो इस जातिमें भी यह छूतकी बीमारी फैल जानेका बड़ा भारी भय है। क्योंकि यह एक स्वाभाविक परिणाम है। वर्तमान युद्धको देखते हुए विचारशील सरकारको चाहिए कि वह बहमों और शंकाओं पर रची जानेवाली भयंकर इमारतोंको इशारा मिलते ही–पता पाते ही गिरा दे और हर तरहसे प्रजाके सम्पूर्ण अंगोंको अपने पूर्ण विश्वास
और प्यारमें रखनेका यत्न करे । जैनजाति प्रार्थना करे या न करे, जब सार्वजनिक पत्रोंने इस विषयमें आवाज़ उठाई है तब उसी आवाज़ परसे ही प्रजाप्रिय वायसरायको इस मामलेमें आगे बढ़कर प्रजाके असन्तोषको शान्त कर देना चाहिए । जहाँ तक हम जानते हैं इस तरहके मामलोंमें माननीय वायसरायका दयाभाव, अनुभव और राजनीतिपाटव बहुत ही बढ़ा चढ़ा है।
बम्बई, ... ता. २६-१-१५] बाडीलाल मोतीलाल शाह।
लुकमानका कौल। (कुत्ता घृणित क्यों समझा जाता है ? ) १-किसीने यह लुकमानसे जाके पूछा ।
ज़रा इसका मतलब तो समझाइएगा ॥ २-ज़मानेमें कुत्तेको सब जानते हैं। 'वफादार' भी उसको सब मानते हैं ।
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