Book Title: Jain Hiteshi 1914 Ank 03
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 79
________________ (११) -राष्ट्रीय ग्रन्थः १ सरल-गीता । इस पुस्तकको पढ़कर अपना और अपने देशका कल्याण कीजिये । यह श्रीमद्भगवद्गीताका सरल-हिन्दी अनुवाद है। इसमें महाभारतका संक्षिप्त वृत्तान्त, मूल श्लोक, अनुवाद और उपसंहार ये चार मुख्य भाग हैं। सरस्वतीके सुविद्वान संपादक लिखते हैं कि यह 'पुस्तक दिव्य है।' मूल्य ॥ २ जयन्त । शेक्सपियरका इंग्लैंडमें इतना सम्मान है कि वहांके साहित्यप्रेमी अपना सर्वस्व उसके ग्रन्थोंपर न्योछावर करने के लिए तैयार होते हैं। उसी शेक्सपियरके सर्वोत्तम 'हैम्लैट' नाटकका यह बड़ा ही सुन्दर अनुवाद है। मूल्य ; सादी जिल्द ॥ ३ धर्मवीर गान्धी । इस पुस्तकको पढ़कर एक बार महात्मा गान्धीके दर्शन कीजिये, उनके जीवनकी दिव्यताका अनुभव कीजिये और द० अफ्रिकाका मानचित्र देखते हुए अपने भाइयोंके पराक्रम जानिये । यह अपूर्व पुस्तक है। मूल्य।। ४ महाराष्ट-रहस्य । महाराष्ट्र जातिमें कैसे सारे भारतपर हिन्दू सानाज्य स्थापित कर संसारको कंपा दिया इसका न्याय और वेदान्तसंगत ऐतिहासिक विवेचन इस पुस्तकमें है । परन्तु भाषा कुछ कठिन है। मूल्य-J॥ ५ सामान्य-नीतिकाव्य । सामाजिक रीतिनीतिपर यह एक अन्ठा काव्य ग्रन्थ है। सब सामयिक पत्रोंने इसकी प्रशंसा की है । मूल्य का इन पुस्तकोंके अतिरिक्त हम हिन्दीकी चुनी हुई उत्तम पुस्तकें भी अपने यहाँ विक्रयार्थ रखते हैं। नवनीत-मासिक पत्र । राष्ट्रीय विचार । वा० मूल्य २। यह अपने ढंगका निराला मासिक पत्र है । हिन्द देश, जाति और धर्म इस पत्रके उपास्य देव हैं। आत्मिक उन्नति इसका ध्येय है। इतना परिचय पर्याप्त न हो तो। के टिकट भेजकर एक नमूनेकी कापी मंगा लीजिये । ...: ग्रन्थप्रकाशक समिति, नवनीत पुस्तकालय. पत्थरगली, काशी. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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