Book Title: Jain Hiteshi 1914 Ank 03
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 78
________________ (१०) दियातले अँधेरा। एक छोटीसी शिक्षाप्रद गल्प है। पढ़कर आप बहुत प्रसन्न होंगे और यदि आप अपनी स्त्रीको पढ़ानेमें लापरवाही करते होंगे तो चिन्ता'पूर्वक पढ़ाने लगेंगे । मूल्य डेड़ आना। .. सदाचारी बालक । . यह भी एक छोटीसी सुन्दर गल्प है । बालकों और विद्यार्थियोंके कामकी है । मूल्य डेड़ आना। सामाजिक चित्र। - इस गल्पमें एक उदारहृदय युवाके सुन्दर चरित्रका चित्र खींचा गया है । मूल्य एक आना। मनोहर सच्ची कहानियाँ। राजपूतानेके प्रसिद्ध प्रसिद्ध वीर पुरुषों और वीरवालाओंकी कहनियाँ फड़कती हुई भाषामें लिखी गई हैं। इसके लेखक पं० द्वारकाप्रसादजी चतुर्वेदी हैं । मूल्य आठ आना। कहानियोंकी पुस्तक। यह लाला मुशीलालजी एम. ए. की लिखी हुई है । इसमें छोटी छोटी सच्ची कहानियोंका संग्रह है जो कि बहुत ही शिक्षाप्रद हैं । विद्यार्थियोंके विशेष कामकी है । मूल्य पाँच आना। मैनेजर, हिन्दीग्रन्थरत्नाकर कार्यालय, हीराबाग, पो० गिरगाँव, बम्बई । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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