Book Title: Jain Hiteshi 1914 Ank 03
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 76
________________ (८) उसका इसमें सिलासिलेवार बड़ा ही मनोरंजक आकर्षक और शिक्षाप्रद, वर्णन है । भारतवर्षके लिए यह पुस्तक कल्पवृक्षके तुल्य है। यह घर घर पढ़ी जाना चाहिए । कोई भी मनुष्य इसे बिना पढ़े न रहे । इससे जो जो शिक्षायें मिल सकती हैं उनका वर्णन नहीं हो सकता । मूल्य सादी जिल्दका १) पक्की जिल्दका ११) सवा रुपया । यह जैनहितैषीके उपहारमें भी दिया गया है । शान्तिकुटीर-यह सीरीजका ग्यारहवा ग्रन्थ हैं । यह बाबू अविनाशचन्द्रदास एम. ए. बी. एल. के बंगला ग्रन्थका अनुवाद है । अर्थात् 'प्रतिभा'के और इसके मूल लेखक एक ही हैं। जिन सज्जनोंने 'प्रतिभा'. को पढ़ा है उनको इसकी उत्तमताका परिचय देनेकी ज़रूरत नहीं है। क्योंकि यह भी उसीके ढंगका सुन्दर, भावपूर्ण, पवित्र और शिक्षाप्रद है। इसमें भी प्रकृतिका बहुत ही अच्छा वर्णन है और सादा पवित्र और लोकहितकारी जीवन कैसा होता है यह बतलाया गया है। गार्हस्थ्यजीवनका इससे अच्छा, उन्नत और उदार आदर्श शायद ही और कहीं मिले । बालक-बालिका स्त्रीपुरुष सब ही इसे नि:संकोच होकर पढ सकते हैं । हिन्दीमें इस ढंगके उपन्यास बहुत ही कम हैं । मूल्य सादी जिल्दका ॥) पक्की जिल्दका एक रुपया । बूढेका ब्याह। एक सामाजिक काव्य है। एक १० वर्षकी लड़की और साठ वर्षके बूढके ब्याहकी कथाको लेकर इसकी रचना की गई है । रचना बहुत सुन्दर है । इसके लेखक हिन्दीके प्रसिद्ध कवि श्रीयुक्त सय्यद अमीर अली सा० हैं । साथमें पाँच सुन्दर चित्र दिये हैं । छपाई सफाई और आवरण पृष्ठको देखकर पाठक मुग्ध हो जावेंगे। मूल्य छह आना । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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