Book Title: Jain Hiteshi 1914 Ank 03
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

View full book text
Previous | Next

Page 101
________________ आगामी सूचना | विदित हो कि सनातन जैन ग्रंथमालामे अपूर्णग्रंथ पूर्ण हो जाने के पश्चात् एक तो श्लोवार्त्तिकजी बड़े अक्षरों में छपाया जायगा (जिसमें २०००) रुपये खर्च पड़ेंगे) क्योंकि यह कलकत्तेकी न्यायतीर्थपरीक्षा में भरती है । दूसरे अद्वैन विद्वानोंमें प्रभावना करने के लिये रविषेणाचार्यकृत पद्मपुराणजी बड़ा छपावेंगे इसमें अनुमान १५००-१६००) रुपये खर्च पड़ेंगे सो सब भाइयों को सोसो दोदोसौ रुपयोंकी सहायता भेजना चाहिये । जो महाशय १०० रुपये भेजेंगे उनको हम दोनों ग्रंथों की पंद्रह २ प्रति या किसी भी एक ग्रंथ की ३० प्रति भेज देंगे और व्याजमें उनका नाम जिनवाणीजीर्णोद्धारक महाशयोंकी फेहरिस्त में ग्रंथके एक पृष्टमें छपा देंगे। आशा है कि जो महाशय इस जिनवाणीजीर्णोद्धार और अजनों में धर्मप्रचारार्थ सहायता दें, वे चैतसुद १५ तक हमें सूचना दें। अभी रुपया कोई न भेजैं इसके सिवाय चुन्नीलाल जैन ग्रंथमाला में नीचे लिखे ग्रंथ छपेंगे सो एक एक दानी महाशय एकएक ग्रंथ छपानेका खर्च भेजकर एक तौं ग्रंथ पर अपना या अपने पिताजी वगेरह का नाम छपाकर नाम करें। दूसरे हम २०० प्रति प्रथकी देंगे सोदान करके पुण्योपार्जन करें तीसरे - शेष पुस्तकें हम अजैनोंको प्रायः विनामूल्य वितरण करेंगे उसका पुण्य भी लूटै । १ | जैनेंद्रव्याकरणकी पंचसंधि भाषाटीका सहित छपाई १००० २ | जैनधर्मका परिचय हिंदी में ३ । द्रव्यसंग्रह बंगला अनुवाद सहित ४ । तत्त्वार्थसूत्र बंगानुवाद सहित ५ । पुरुषार्थसिद्ध्युपाय बंगानुवाद सहित Jain Education International "1 " ," 19 120 प्रति ५० ) २०००० प्रति १०० ) १००० प्रति १०० ) १००० प्रति ४०० ) १००० प्रति ५०० ) ६ । परीक्षामुख न्याय हिंदी अनुवाद सहित २७ । परीक्षामुख न्याय वंगानुवाद सहित " " ८ । महावीर स्वामीका ऐतिहासिक जीवनचरित्र बड़ा १००० ९। महावीर स्वामीका १० | महावीरस्वामीका 1 महावीर स्वामी का पत्र भेजने का पता - पन्नालाल बाकलीवाल พ १५० ) १००० प्रति १००० प्रति १५० प्रति ३०० ) 99 जीवनचरित्र बंगला में १००० प्रति ४०० ) • जीवनचरित्र मराठी में १००० प्रति ३०० ) जीवनचरित्र अंगरेजीमें १००० प्रति ५०० ) मंत्री - भारतीय जैन सिद्धांत प्रकाशिनी संस्था ठि० मैदागिन जैनमंदिर पो० बनारस सिटी क Personal & Private Use Only the train www.jaihelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 99 100 101 102 103 104