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जयपुरराज्य, अँगरेज़ सरकार और सेठीजीका मामला । १६१
युक्ति की होगी; परन्तु राजभक्त भारतवासियोंको अपने मस्तकमें इस तरहके अनुमानको क्षण भरके लिए भी न टिकने देना चाहिए । जो अंगरेजी सरकार बेल्जियम सरीखे गैर देशकी रक्षा के लिए अपने लाखों मनुष्योंको कटा डालनेकी उदारता और न्यायप्रियता प्रकट करती है वह अपनी निरीह प्रजाके एक मनुष्यको अपराधकी जाँच किये बिना ही हिरासत में रक्खेगी, रखवावेगी या कोई चाल चलेगी, इस बात पर जरा भी विश्वास नहीं किया जा सकता । यदि थोड़ी देरके लिए यह बात मान भी ली जाय, तो भी जयपुर राज्य इस मामले में निर्दोष सिद्ध नहीं हो सकता । जयपुर राज्यने अपने हृदय से विरुद्ध - किसी के कहने मात्र से एक अपनी ही निर्दोष प्रजाको बन्धनमें डाल रक्खा है, इससे क्या इस इतने बड़े पहली श्रेणीके देशी राज्यके चरित्रबलकी कमीका प्रमाण नहीं मिलता है ? और देवदर्शनकी मनाई भी क्या अँगरेज़ अफसरोंकी आज्ञासे हुई होगी ? क्या इस तरहकी ज़रा ज़रासी बातोंके हुक्म भी उसी तरफसे आते होंगे ! इससे साफ समझमें आता है कि इस बेक़ानूनी दयारहित मामलेका सारा उत्तरदायित्व जयपुरराज्यके ही सिर पर है । बेचारे देशी राज्य इतना भी नहीं जानते हैं। कि राजभक्तिका इस तरहका अमर्यादित स्वाँग बनानेकी तैयारी में हम अपने राज्य में राजद्रोहका अस्तित्व सिद्ध कर डालनेकी बड़ी भारी भूल कर रहे हैं और साथ ही अपनी प्रजाके हृदय में अरुचि उत्पन्न कराके अपना ही अहित कर रहे हैं । चाहे जो हो, पर समझदार भारतवासियोंको तो भारतके एक देशी
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