Book Title: Jain Hiteshi 1914 Ank 03
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 72
________________ ( ४ ) जम्बूस्वामीचरित । यह भी कवितासे बदलकर सादी बोलचाल की भाषामें कर दिया गया है । अन्तिम केवली जम्बूस्वामीका पवित्र चरित्र है । मूल्य 1 ) दशलक्षणधर्म | इसमें उत्तम क्षमादि दशधर्मोका विस्तृत व्याख्यान है । रत्नकरंडवचनिका आदि ग्रन्थोंके आधारसे नये ढंगसे लिखा गया है । भाषा बोलचालक है । साथमें दशलक्षण व्रत कथा भी है । शास्त्रसभामें बाँचने योग्य है । भादोंके तो बड़े कामकी चीज़ है । मूल्य पाँच आना । · आत्मशुद्धि । यह पुस्तक लाला मुंशीलालजी एम. ए. की लिखी हुई हालही प्रकाशित हुई हैं । विषय नामसे ही स्पष्ट है । जैनग्रन्थोंके आधार से लिखी गई है । इसमें ' शील और भावना ' भी शामिल है । मूल्य ।) गृहिणीभूषण | स्त्रियोंके लिए बड़ी ही उपयोगी पुस्तक है । जैनस्त्रियोंके सिवाय दूसरी स्त्रियाँ भी लाभ उठा सकती हैं । स्त्रियोंके कर्तव्य, व्यवहार, विनय, लज्जा, शील, गृहप्रबन्ध, बच्चोंका लालनपालन, पातिव्रत, परोपकार आदि-सभी विषयोंकी इसमें सुन्दर शिक्षा दी गई है । भाषा शुद्ध और सरल है। जैनसमाजमें स्त्रीशिक्षाकी इससे अच्छी और कोई पुस्तक प्रचलित नहीं । मूल्य आठ आना । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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