Book Title: Jain Hiteshi 1914 Ank 03
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 18
________________ १४२ . जैनहितेषी प्रबन्ध करा दिया जाय और यदि उसको जैनजातिमें लडकी न मिलती हो तो जैनेतर ब्राह्मण-क्षत्रिय-वैश्य वर्णोकी भी लड़की लेनेमें कोई रुकावट न डाली जाय । ७ विवाहकी उम्र बढ़ा दी जाय । २०१६ के पहले किसी वर कन्याका विवाह न हो सके। इससे अल्पायु और दुर्बल सन्तान कम होने लगेगी जो कि जातिके क्षयका एक कारण है । ८ गर्भरक्षा, सन्तानपालनपोषण, आरोग्यताके नियम आदि बातोंकी शिक्षाका खास तौरसे प्रचार किया जाय जिससे अकालमरण कम हो जावें और पुष्ट सन्तानोंकी वृद्धि हो। ९ भाग्यवादकी जगह पुरुषार्थवादकी शिक्षाका विस्तार किया जाय जिससे लोग प्लेग हैजा आदि बीमारियोंके समय अपनी रक्षा करनेमें विशेष सावधान हो जायँ । १० शारीरिक . श्रमका महत्त्व बढ़ाया जाय जिससे लोग परिश्रम करनेको बेइज्जतीका काम न समझें और फिजूलखर्ची तथा विलाससामग्रियोंकी वृद्धि रोकी जाय । इत्यादि उपायोंसे हमारा क्षय होना बन्द हो सकता है और दूसरोंके समान हमारी संख्या भी बढ़ सकती है। . ६ डाक्टर टी. के. लद्का व्याख्यान । गत दिसम्बरकी छुट्टियोंमें स्याद्वादमहाविद्यालय काशीका वार्षिकोत्सव हो गया । अबकी बार क्वीन्सकालेज बनारसके संस्कृत प्रोफेसर डा० तुकाराम कृष्ण लद् बी. ए. ( केन्टब ), पी. एच. डी. ने सभापतिका आसन स्वीकार किया था । आपने इस अवसर पर संस्कृत और अँगरेज़ीमें दो सुन्दर व्याख्यान दिये । यह एक बहुत Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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