Book Title: Jain Darshan me Nischay aur Vyavahar Nay Ek Anushilan
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi
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अनुक्रमणी
पृष्ठांक पाँच सात
प्रकाशकीय अपनी बात प्रस्तावना : डॉ० (पं० ) पन्नालाल जी जैन साहित्याचार्य सङ्केत-सूची
तेरह
छब्बीस
अध्याय प्रथम : निश्चय और व्यवहार नयों की पृष्ठभूमि
वस्तु की अनेकरूपात्मकता नय : एक नेत्र निश्चय और व्यवहार नय : प्रमाणैकदेश सत्य के दो रूप उपदेश के लिए निश्चय-व्यवहार नयों का आश्रय
देशना के सम्यक् ग्रहण हेतु नयभेद का ज्ञान आवश्यक द्वितीय : निश्चयनय
निश्चय और व्यवहार नयों के लक्षण, विषय, परिभाषाएँ प्रतिनियतलक्षण से पदार्थों की पहचान मूलपदार्थावलम्बिनी दृष्टि से आत्मस्वरूप का निर्णय मूलस्वभावावलम्बिनी दृष्टि से आत्मस्वरूप का निर्णय मौलिकभेदावलम्बिनी दृष्टि से आत्मस्वरूप का निर्णय
शरीर और आत्मा में एकत्व का निषेध आत्मा और कर्म में बद्धत्व का निषेध पर के साथ स्वस्वामिसम्बन्ध का निषेध परभाव से कर्ताकर्मसम्बन्ध का निषेध परद्रव्य से भोक्ताभोग्यसम्बन्ध का निषेध पर से ग्रहण-त्याग सम्बन्ध का निषेध परद्रव्य से निमित्तनैमित्तिकसम्बन्ध का निषेध पर के साथ ज्ञेय-ज्ञायकसम्बन्ध का निषेध पर से श्रद्धेय-श्रद्धानकारकसम्बन्ध का निषेध
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