Book Title: Haribhadra ke Prakrit Katha Sahitya ka Aalochanatmak Parishilan
Author(s): Nemichandra Shastri
Publisher: Research Institute of Prakrit Jainology & Ahimsa Mujjaffarpur
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२७५ ३--नायक नायिका की क्रीड़ा सामग्री के रूप में
प्रेमी-प्रेमिका जलविहार, वसन्तविहार या अन्य किसी ऋतु विहार के अवसर पर पक्षियों के साथ क्रीड़ा कर मनोविनोद करते हैं। उनके द्वारा किया गया यह विनोद वैयक्तिक नहीं होता है, बल्कि यह सामान्य रहता है। कथानक रूढ़ि के रूप में प्रयुक्त घटना आगे वाली घटनाओं को बहुत गतिशील बनाती है। सनत्कुमार और विलासवती की कथा में बताया गया है कि इन दोनों का वियोग इसीलिए हआ कि इन्होंने पूर्वजन्म में जलविहार के समय मात्र मनोविनोद के लिए चक्रवाक और चक्रवाकी को रंगीन कर दिया था, जिससे वे आपस में एक-दूसरे को पहचानने में असमर्थ रहे। एक-दूसरे को भूल जाने के कारण उन्हें वियोगजन्य कष्ट भोगना पड़ा। जब जल में छोड़ देने पर उनके शरीर का रंग निकल गया तो आपस में एक-दूसरे को पहचान सके।
४--भक्ति करके स्वयं शुभ फल प्राप्ति के रूप में
मनुष्य के समान पशु-पक्षी भी भक्ति कर अपनी आत्मा को शुभ परिणामों से युक्त करना चाहते हैं। वे भी मनुष्य की तरह अपने हिताहित का विचार करते हैं। एक ओर हम मेढ़क को कमल-पंखुड़ी लेकर भगवान महावीर की पूजा करने के लिए उद्यत देखते हैं, तो दूसरी ओर कोई बानर शिवजी की भक्ति करता दिखलाई पड़ता है। पशु-पक्षियों के कार्यों का उल्लेख कथाओं में कई रूपों में आया है। हरिभद्र ने एक लघुकथा में बताया है कि एक तोता भक्तिपूर्वक आसमंजरी लेकर महावन में स्थित जिनचैत्यालय में जाकर जिनेन्द्र भगवान की पूजा करता है। पूजा के इस राजकुमार के रूप में जन्म धारण करता है। इस कथानक रूढ़ि का प्रयोग कर हरिभद्र ने निम्न कथाकार्यों की सिद्धि को है :--
(१) घटनाओं में आकस्मिकता का प्रयोग। (२) भावनाओं का उदात्तीकरण। (३) कथा में गतिधर्म। (४) घटनाओं को चमत्कृत करना।
६--तन्त्र-मन्त्र, जादु, चमत्कार और औषधियों से सम्बद्ध रूढियां
तन्त्र-मन्त्र, जादू, चमत्कार और औषधियों के प्रति लोकमानस की पूरी आस्था है। योगी, सिद्ध, तांत्रिक, मान्त्रिक और चमत्कारी व्यक्तियों के प्रति मनुष्य सदा श्रद्धानमित रहता है। इस श्रद्धा का एक कारण यह भी है कि लोग इन असाधारण व्यक्तियों से डरते हैं। हरिभद्र ने कथाओं में तन्त्र-मन्त्र के चमत्कार स्वरूप निम्न कथानक रूढ़ियों का प्रयोग किया है:--
(१) औषधियों का चमत्कार । (२) मन्त्र शक्तियों का चमत्कार।
१--उप०गा० ९७५--९८६ ।
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