Book Title: Haribhadra ke Prakrit Katha Sahitya ka Aalochanatmak Parishilan
Author(s): Nemichandra Shastri
Publisher: Research Institute of Prakrit Jainology & Ahimsa Mujjaffarpur

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Page 447
________________ ४१४ बौ० ध० बौधायन धर्मसूत्र। भ० ना० भरत मुनि का नाट्यशास्त्र । भाव प्रा० गा० भावप्राभृत गाथा। महा०प्र०प० महापुराण प्रथम पर्व। . म० च० महावीरचरियं । . याको० स० याकोबी द्वारा सम्पादित समराइ चकहा। रयणचूडरायचरियं ।। लीला० गा०, ली० गा०, लीला० क०.. लीलावतीकथा गाथा।. व० जी० वक्रोक्ति जीवितम्। ., व० हि०, वसु० .. वसुदेवहिण्डी। विपाक० विपाक सूत्र । वीर० वि० म० क० .. वीरदेव गणि विरचित महिवालकहा। व्यव० भा० व्यवहार भाष्य। सम०प्र० भ० समराइच्चकहा प्रथम भव। सम० पृ०, स० पृ०, स० क० समराइच्चकहा पृष्ठ । स० क० द्वि० भ० .. समराइच्चकहा, द्वितीय भव । सर्वा० पृ० .. सर्वार्थसिद्धि पृष्ठ अध्याय । सा० द० साहित्य दर्पण । सिरि०वि० सिरि विजयचंद के वली चरियं । सु० टी० गा० सुखबोध टीका गाथा । सुपा० पुव्व० भ० सुपासनाहचरियं पूर्वभव। सु० गा० सुरगुरुपारतन्त्र्य स्तव गाथा। सूत्र० चू० सूत्रकृतांग चूणि । सं०३० .. संस्कृत साहित्य का इतिहास । सं० त० प्रस्ता० संक्षिप्त तरंगवती प्रस्तावना। सं० स० संक्षिप्त तरंगवती कथा । हर्ष० सां० हर्षचरित का सांस्कृतिक अध्ययन। हि० सा० प्रा० .. .. हिन्दी साहित्य का आदिकाल । हेम० काव्य० प्र० .. .. हेमचन्द्र का काव्यानुशासन अध्याय । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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