Book Title: Haribhadra ke Prakrit Katha Sahitya ka Aalochanatmak Parishilan
Author(s): Nemichandra Shastri
Publisher: Research Institute of Prakrit Jainology & Ahimsa Mujjaffarpur

Previous | Next

Page 446
________________ संकेत सूची अनेका० ज० प्रप० सा० प्र० गा० प्रा० चू० प्राव० प्राप्त प्रा० ध० उत्त० उद्यो० कुव० उप० गा० क० ग्रन्थ ले०प्र० का० द० का० मी० न०प्र० का०प्र० का० सू० कुव० पृ० अनु० कु०प्र० गो०५० जं० च० जिन कथा० ज्ञा०क० तत्त्व० रा०प्र० सू० वा० द्वि०प्र० दश० गा० वश० चू० दश हा०, ३० हा०, दश० धूर्त० प्र० प्र० ध्व० नि० चू० प० प्र०प० चतुर्वि०प्र० .. बृह० प्र० भे० वृ० क० भा० पी० .. अनेकान्तजयपताका। .. . अपभ्रंश साहित्य । .. अध्याय गाथा। आवश्यक चूणि। प्रावश्यक सूत्र। प्राप्तमीमांसा। आपस्तम्ब धर्मसूत्र । उत्तराध्ययन सूत्र । उद्योतन सूरि द्वारा विरचित कुवलयमाला। उपदेशपद गाथा। .. कथाकोश प्रकरण ग्रन्थ प्रस्तावना। काव्यादर्श। काव्य मीमांसा, नवम अध्याय । काव्य प्रकाश। काव्यालंकार सूत्रवृत्ति। कुवलयमाला पृष्ठ अनुच्छेद । कुवलयमाला पृष्ठ अनुच्छेद । गौतम धर्मसूत्र। जंबुचरियं। जिनेश्वर सूरि का कथाकोश । .. ज्ञानपंचमी कथा । .. तत्त्वार्थ राजवात्तिक अध्याय, सूत्रवासिक। .. द्वितीय अध्याय। .. दशव कालिक गाथा। दशव कालिकचूर्णि। दशव कालिक की हारिभद्रवृत्ति। . धूर्ताख्यान प्रथम पाख्यान । ध्वन्यालोक। ... निशीथ चूर्णि। .. पउमचरियं। .. प्रभावक चरित्र चतुर्विशति प्रकरण। ... बृहज्जातक ग्रहभेदाध्याय । .. बृहत्कल्प भाष्य पीठिका। : : :: :: Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462