Book Title: Haribhadra ke Prakrit Katha Sahitya ka Aalochanatmak Parishilan
Author(s): Nemichandra Shastri
Publisher: Research Institute of Prakrit Jainology & Ahimsa Mujjaffarpur

Previous | Next

Page 438
________________ ४०५ (२२) जयन्ती चरित --सं० श्राचार्य विजयकुमुद सूरि, प्र० मणि विजय जी ग्रन्थमाला, मु० लींच (महेसाणा ), वि० सं० २००६ । (२३) जिनदत्ताख्यान द्वय - सुमति सूरि तथा अज्ञातविद्वान्, सं० पं० श्रमृतलाल मोहनलाल भोजक, सिंधी जैन ग्रन्थमाला, भारतीय विद्याभवन, बम्बई, वी० सं० २००६ (२४) ठाणांग -- सं० मुनि अमोलक, प्र० ज्वाला प्रसाद सुखदेव सहाय, हैदराबाद, वी० सं० २४४६ । (२५) तिलोयपण्णत्ति -- यतिवृषभ, प्र० जीवराज जैन ग्रन्थमाला, सोलापुर | (२६) दशवं कालिक चूर्णि :- :--प्र० आगमोदय समिति । (२७) दशवं कालिक सूत्र हारिभद्रवृत्ति--सं० और प्र० मनसुखलाल महावीर प्रिंटिंग वर्क्स, बम्बई । (२८) देसीनाममाला -- हेमचन्द्र, सं० पिशल, प्र० भण्डारकर ओरिएण्टल इंस्टी ट्यूट, पूना । (२९) धर्मोपदे शमालाविवरण -- जयसिंह सूरि, सं० मुनि जिनविजय, प्र० सिंधी जैन ग्रन्थमाला, भारतीय विद्याभवन, बंबई, दि० सं २००५ । (३०) धूर्ताख्यान - - हरिभद्र सूरि, सं० डा० ए० एन० उपाध्ये, प्र० सिंधी जैन ग्रन्थमाला, भारतीय विद्याभवन, बम्बई । (३१) नन्दी सूत्रम् -- अनु० हस्तिमल्ल मुनि, प्र० रायबहादुर मोतीलाल जी मूथा, सतारा, सन् १६४२ । (३२) नन्दीसूत्र मलयगिरि टीका सहित -- प्र० श्रागमोदय समिति, ४२६, जवरी बाजार, बम्बई, सन् १९२४ । ( ३३ ) नन्दीसूत्रस्य चूर्णि :-- हारिभद्रीया वृत्ति- प्र० श्वेताम्बर सभा, रतलाम | ( ३४ ) नरविक्रम चरित -- गुणचन्द्र सूरि, प्र० झवेरी अजितकुमार नन्दलाल, राजनगर, वि० सं० २००८ । (३५) नागपंचमी कहा -- महेश्वर सूरि, सं० डा० श्रमृतलाल रूवचंद गोपाणी, एम० ए०, पी-एच० डी०, सिंघी जैन ग्रन्थमाला, भारतीय विद्याभवन, बम्बई, सन् १९४९ ( ३६ ) नायाधम्मकहा--सं० और प्र० एन० वी० वैद्य, फर्ग्यूसन कालेज, पूना-४, सन् १६४० । (३७) निशीथ चूर्णि -- प्र० श्रागमोदय समिति । (३८) पउमचरियं -- विलसूरि, प्र० जैनधर्म प्रसारक सभा, भावनगर, सन् १९१४ । ( ३९ ) पाइ कहासंगहो -- -- पदमचन्द्र सूरि के शिष्य प्र० विजयदान सूरीश्वरजी ग्रन्थमाला, गोपीपुरा, सूरत, सन् १६५२ । (४०) पाइन - लच्छी नाममाला -- धनपाल, सं० और प्र० शादीलाल जैन, २३६, अब्दुल रेहमान स्ट्रीट, बम्बई - ३ | (४१) प्राकृत पैंगलम् -- सं० डा० भोलाशंकर व्यास, प्र० पाकृत ग्रन्थपरिषद्, वाराणसी । (४२) पंडिश्र धणवाल कहा -- संघतिलक सूरि, प्र० श्रीसंघ, सूरत, वि० सं० १९९७ । (४३) बहत्कल्पभाष्य-- श्वेताम्बर सभा, रतलाम । (४४) बंभदत्त चरियं -- सं० बी० एम० शाह, प्र० गुजरात ग्रन्थ कार्यालय, गांधी रोड, अहमदाबाद, सन् १९३७ । (४५) भगवती श्राराधना -- शिवार्य, प्र० श्रनन्त कीर्ति ग्रंथमाला, बम्बई, वि०सं० १९८६ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462