Book Title: Gnatadharmkathanga Sutram Part 01
Author(s): Kanhaiyalalji Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 18
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ज्ञाताधम कथासूत्र कालः अवपियाश्चतुरिवलक्षणः, समयस्तु यत्र सा नगरी सा राजा सुधर्मास्वामा चासन्। 'वण) वर्णका वर्णनसन्दर्भोऽत्रावावरे वक्तव्योऽपि विस्तर भयाद्विरम्बते, -जिज्ञासुभिरौपगतिकम विलोकनीयः । तस्याः खलु चम्पाया नगर्या बहिरुत्तर. पौरस्त्ये दिग्भागे पूर्णभद्र नाम चैत्यमासीत् । वर्णकः । तत्र. चम्मायां नगर कानिकों नाम रानाऽसीत् । ॥ १॥ है। समय शब्द से बह कालांश लिया गया है कि जिस में गह चम्पानगरी तथा वह राजा एवं सुधर्मा स्वामी विद्यमान थे । निस प्रकार वहियों में संपत् और मिति डाली जाती है उसी प्रकार यहां भी काल और समय में कथनकी अपेक्षा भिन्नता जाननी चाहिये। संवत् के स्थानान्न काल और मिति के स्थानापन्न समयको कहा गया है। पत्र में जो "दण्णो " यह पद रखा है उसका भाव यह है कि चम्मानगरी के विषय में अन्य शास्त्रों में विशेष वर्णन किया गया है। वह वर्णन उन शास्त्रों से यहां पर भी जान लेना चाहिये । यहां उशा विषय की केवल भूचना ही दी गई है वर्णन जो मूत्रकार ने चम्पानारी का यहां नहीं किया है उपका कारण विस्तार हो जाने का भय है । जिज्ञासु व्यक्ति औपपातिक मूत्र से उस बात को समझ सकते हैं । ... (तीसेण चपाए 'नयरीए बहिया उनरपुरस्थिमे दिसीमाए-पुण्णाभई नाम चेइए होत्था वगओ) उस नगरी के बाहर उत्तर पूर्व की ओर अर्थात् इशानकोणमें पूर्णभद्र नाम का चैत्य था अर्थात यन्तरायतन था। લેવામાં આવે છે જેમાં તે ચંપા તથા તે નગરી રાજા અને સુધર્મા સ્વામીહયાત હતાં. જે રીતે ચેપડાઓમાં સંવત અને તિથિ લખાય છે, તે જ પ્રમાણે અહીં પણ કાળ અને સમયમાં કરનની દૃષ્ટિએ ભિન્નતા સમજી લેવી. સંવતના સ્થાને કાળ અને तिथिना स्थान समयन निश ४२वाभा माव्यो छे. सूत्रमा २ व णमो' ५६ આવ્યું છે, તેનો અર્થ છે કે ચમ્પાનગરીની બાબતમાં બીજા શાસ્ત્રોમાં વિશેષ વર્ણન કરવામાં આવ્યું છે. તે શાસ્ત્રોમાંથી અહીં પણ તે પ્રમાણેનું વર્ણન સમજવું જોઈએ અહીં તે બાબતની ફકત સુચના જ આપવામાં આવી છે. સૂત્રકારે જે ચપ્પા નગરીનું અહીં વર્ણન કર્યું નથી વિસ્તાર ભય જ તેનું કારણ છે. ઓપપાતિક સૂત્રમાંથી જિજ્ઞાસુઓ તે વાતને જાણી શકે છે. (तीसेणं चंपाए नयरीए बहिया उत्तरपुर थिमे दिसीमाए पुण्णभ' नामं चेइए होत्या वणी ) ते नगरीनी पा२ उत्त२ नात२३ मात ઈશાન કોણમાં પૂર્ણભદ્ર નામે સત્ય હતું, અર્થાત વ્યન્તરાયત હતું. તેનું વર્ણન For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 ... 762