Book Title: Gayavar Vilas Arthat 32 Sutro Me Murtisiddha
Author(s): Gyansundar
Publisher: Sukanraj S Porwal

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Page 27
________________ 1 2 3 4 S [ 22 ] शासन की उन्नति की समालोचना ! जैमा रजस्वला धर्म ( M. C ) पाल हैं । शास्त्रजी की प्राशातना टालते हैं और बहुत भक्ति करते है । माधु रात्री पानी रखते हैं । कपड़ा प्रादि पानी से धोते हैं । सूतक मृतक के घर का आहार पाणी नहीं लेते हैं । गो पिशाब म 1 2 3 4 5 [ स्थानकवाशी ] + रजस्वला नहीं पालते हैं कितने ही तो कहते हैं कि 'फोडा फूठा है' इसमें क्या ? शास्त्रजी की सिराने दे देते हैं और भक्ति पूजा नहिं करते हैं । प्रशुचि हाथ भी लगा देते हैं । रात्री को पानी नहीं रखते हैं और दावा करते हैं । कपड़ा यादि नो पाणी कसे भी धोते हैं सूतक मृतक के घरका प्रहार पानी ले लेते हैं ।

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