Book Title: Gayavar Vilas Arthat 32 Sutro Me Murtisiddha
Author(s): Gyansundar
Publisher: Sukanraj S Porwal
View full book text
________________
मूल
मूल
[ यत् आयारवंतखेइया |
। [बहुलाअरिहंतचेइया] जणवयसंणिविट्ठ
बहुला इतिपाठान्तर ।
[
8
]
टीका-श्री अभयदेवसूरिकृत चैत्यानि
___टीका श्रीअभयदेवसूरि कृत- बहुलानि देवतायतनानि इत्यादि
यस्यां सा तथा १अरिहंतचेइयजणवयविनोट-स्यात् यक्षादिका मन्दिर कह देवं मणी विहबहुलेतिपाठान्तरंतत्रार्हच्चोत्या. तो यक्षका मन्दिर का पाठ अगाडी | नां जनानां दूतिनाञ्च विविधानि यानि अलग है।
पाठकास्तैर्बहलेति विग्रहः सूर्यांगचित्त
इय जूपसणिविट्ठबहुला इति च पाठा
न्तरं २। टब्बा लूका गच्छ श्री अमतचन्द्र टबार्थ-लू कागच्छ श्रीअमृतचन्द्रसूरि कृत सूरि कृत-छइ जिणनगरीइग्राकारवंत बहुला कहितां घणा जिणी नगरीय परिसुन्दराकार चैत्यप्रासाद देहरा छइ । हंतना चैत्यप्रासाद देहरा घणा छ जिहां ए- |
हवो पाठान्तर छ ।
-
-
-

Page Navigation
1 ... 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112