Book Title: Gayavar Vilas Arthat 32 Sutro Me Murtisiddha
Author(s): Gyansundar
Publisher: Sukanraj S Porwal

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Page 112
________________ यात्रा करें! वन्दन करें! स्तुति करें! 卐 no to the theme to the पहले सौधर्म देव लोक में बत्तीस लाख जैन मन्दिर हैं। दूसरे ईशाब देवलोक में अट्ठाइस लाख जैन मन्दिर हैं। तीसरे सनत्कुमार देवलोक में बारह लाख जैन मन्दिर हैं। चोथे माहेन्द्र देवलोक में आठ लाख जैन मन्दिर हैं। पांचवें ब्रह्मदेवलोक में चार लाख जैन मन्दिर हैं। छ8 लातक देवलोक में पचास हजार जैन मन्दिर हैं। सातवें महाशुक्र देवलोक में चालीस हजार जैन मन्दिर हैं। आठवें सहस्रार देवलोक में छः हजार जैन मन्दिर हैं / नवें मानत देवलोक में। चार सौः जैन मन्दिर हैं / दशवें प्राणत देवलोक में / इग्यारवें आरपा देवलोक में। / तीन सौ जैन मन्दिर हैं / बाहरवें अच्युत देवलोक में नौ गौवेयक देवलोक में तीन सौ अठारह जैन मन्दिर हैं। पांच अनुत्तर देवलोक में अति भव्य पांच जैन मन्दिर हैं। कुल मिलाकर बैमानिक देवलोक में चौराशी लाख सत्ताणवे हजार तेइस जैन मन्दिर हैं। जिन्दा रहने के लिए जितनी हवा (सांस) की आवश्यकता है / उतनी हो जैन धर्म में मन्दिर व मूर्ति पूजा की आवश्यकता है। जैन मन्दिर जिन्दाबाद ! मूर्ति पूजा सदा आबाद !! गणेश प्रिन्टिग प्रेस, लोहिया बाजार, ब्यावर 251751 हैं

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