Book Title: Gayavar Vilas Arthat 32 Sutro Me Murtisiddha
Author(s): Gyansundar
Publisher: Sukanraj S Porwal

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Page 76
________________ 71) पूर्वपक्ष-आप उक्त पदों का क्या अर्थ करते हैं ? उत्तर० हमारे तो जो पूर्वाचार्य अर्थ कर गये हैं । वो सुनो ! र संघ गण कुल प्रतिमा इनकी कोई निन्दा हीलना आशातना करता हो तो उसको उपदेश आदि से आशातना नहीं करने देनी यह वैयाबच्च है। जैसे हरकेशी मुनि की जक्ष ने वैयावच्च करी इत्यादि बोलों से सिद्ध हुआ कि साधु प्रतिमा की वैयावच्च करें। जैसा सूत्र में बेमा प्रतिमा छत्तीसी मे, इति ।। 110 विपाक में सुबाहप्रमख । आणंद सरीखा जोयजी।। उधवाई अरिहंत चेइयाणि, अंबड प्रतिमा वंदी सोयजी,प्रतिमा।121 अर्थ -- श्री विपाकसूत्र में सुबाह आदि श्रावकों का अधिकार है । सो आनन्द श्रावक आदि जिन प्रतिमा वांदी पूजी सो गाथा आठवीं के अर्थ में लिख पाये हैं और उववाई सूत्र में चंपानमरी में जिन मन्दिर कहा है । सो सूत्र पाठ -.. (यत बहला अरिहंत चेइया) टीकार्थ और ट बार्थ को गाथा 10 के अर्थ में लिख आये हैं. अब अंबड श्रावक का अंधिकार सुनो। सूत्र पाठ - अंबडस्सणो कप्पइ अन्नउत्थिया वा अणउस्थियदेवयाणि वा अण्णउत्थियपरिग्गहियाणिवाचेइयाइंवंदित्तए वाणमंसित्तएवा जावपज्जुबासित्तएवाणण्णस्थ अरिहंते वा अरिहत्त चेइयाणि वा टीकार्थ- गाथा 9 मी में आनन्द अलावे का कर आये हैं ।

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