Book Title: Gayavar Vilas Arthat 32 Sutro Me Murtisiddha
Author(s): Gyansundar
Publisher: Sukanraj S Porwal

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Page 98
________________ [ 93 ] ( उत्तर ) प्रिय ! इस अलावा आगे गाम नगर के बारे में "सिद्धों की साख से आलोवना ले" तो सिद्ध क्या आलोयणा सुन प्रायश्चित देते हैं ? - प्रिय ! यह तो दोनों कारण हैं। कार्य तो अपने पाप का पश्चात्ताप करे, तो अंत करण से पाप को प्रगट करना इसी से देव गुरु की समक्ष आलोचते हैं इति । निशोथ कल्पदशा तस्कधे । नगरियां दो अधिकार जी। चपानी परे मंदिर शोभे । वीतराग वचन लोधारजी प्र.1231 अर्थ-निशीथ तथा बृहत् कल्प दशाश्रुतखन्ध में चम्पा आदि नगरियां हैं। जिसमें उक्वाइ सूत्र के परे (बहुला अरिहतचेइया) जिन मन्दिर कर शोभायमान है। फेर दशाश्रुतखन्ध अ० 8 में श्री वीर प्रभु के पिता सिद्धार्थ राजा ने जिन प्रतिमा पूजो है एवं त्रिशलादे राणी । सो पाठ यत् ( सयसाहस्सिए य जाए य दाए य इत्यादि) व्याख्या (सयसाहस्सिए य) लक्षप्रमाणान् (जाए य) यागान अर्हत्प्रतिमापूजाः भगवन्मातापित्रोः श्री पार्श्वनाथसन्तानीय श्रावकत्वात्यजधातोश्च देवपूजार्थत्वात् यागशब्देन प्रतिमापूजाः एव ग्राह्या:अन्यस्य यज्ञस्य असंभवात् । श्री पार्श्वनाथसन्तानीय विकत्वं चानयोराचारांगे प्रतिपादित (दाए य ) दायान् पर्वदिवसादौ दानानि । .

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