Book Title: Gayavar Vilas Arthat 32 Sutro Me Murtisiddha
Author(s): Gyansundar
Publisher: Sukanraj S Porwal

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Page 40
________________ ( 35 ) बंधव ! किसी गुरु गम से सूत्र सुगो जो स्थापनाचार्य न हो तो गुरु आदेश किसका लेवे वन्दना किसको देवे ?(अहो कायं काय संफासं) किस को कहे ? (पूर्व पक्ष) हम थापना नहीं माने, साक्षात् गुरु की वंदना करें। . (उत्तर पक्ष) तुम्हारे गुरूजी वदना किस को करै । (पूर्व पक्ष) हमारे गुरुजी ईशान खूण में बंदना करते हैं । (उत्तर पक्ष) खूणा तो अजीव है। . (पूर्व पक्ष) नहीं जी ईशान खण से सीमन्धरस्वामी को बन्दना कर प्रतिक्रमणादि को प्राज्ञा मांग लेते हैं। (उत्तरपक्ष) भरत क्षत्र में शासन किस का है ? (पूर्व पक्ष) महावीर स्वामी का है । (उत्तर पक्ष) फर पाज्ञा सीमन्धर स्वामी को कैसे लेते हैं ? अव्वल तो यह बतावें - माप के माने हुवे 32 सूत्र में सीमन्धरस्वामी का नाम किस सूत्र में है ? दूसरा महाविदेह के साधू का कल्प ही अलग है । प्रतिक्रमण का भी नेम नहीं । पाप लागे तो करे । तीसरा वे भगवान् करोड़ो कोस पर विराजते हैं, उनकी काया का स्पर्श कैसे करते हैं। (पूर्व पक्ष) भगवान तो दूर बिराजे हैं,परन्तु हम ईशान खणे, में भगवान का प्रारोप कर वदना कर लेते है। .... (इसर पक्ष) लो! आखिर तो हस्ते पर पाना ही पड़ा जब परोक्ष में मारोश (थापना) मानते हो, जिससे तो प्रत्यक्ष में ही

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