Book Title: Gayavar Vilas Arthat 32 Sutro Me Murtisiddha
Author(s): Gyansundar
Publisher: Sukanraj S Porwal

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Page 37
________________ [ 32 | अंजन गिरि ने दधिमुखा, नंदीश्वर द्वीप मोझारजी । .. बावन मंदिर प्रतिमा जिनको, वंदे सुर अणगारजी ।। प्र 4 ।। अर्थ-ठाणांग सूत्र के चौथे ठाणे उ. 2 में बहुत विस्तार है। सम्पूर्ण लिखे तो ग्रन्थ बढ जावे, इसीसे जितना प्रयोजन है, सो पाठ:- . चत्तारि अजणग पव्वया पण्णता चत्तारि जिण पडिमाउ सव्वर यणामयाउ संपलिअंकणिसणाउ थभाभिमहोउ चिट्ठति तं जहा - रिसभा वद्धमाणा चंदाणणा वारिसेणा पण्णता चत्तारि सिद्धायअणा चत्तारि दहिमहगपव्वया पण्णत्ता). इत्यादि मूल सूत्र का पाठ है।ज्यादाखुलासा देखना हो तो सूत्र जीवाभिगमजी से नंदीश्वर द्वीप का अधिकार में अंजनगिरि 4 पुष्करणी बावी 16 दधिमुखा 6 रतिकरा 4 राज्यधानी 16 सिद्धायतन 20 जिन प्रतिमा 2160 मुख-मंडप 20 पिछाधर मंडप 20 स्थुभ स्थ्यपासे जिन पडिमा 320 चैत्यवृक्ष 80 इन्द्रवण 80 80 पुष्करणी 80 वनखंड 320 मणुगलिया 48000 गां माणसिया 48000इतनाप्रधिकारमूलपाठमें है, और 32 कनकगिरि सिद्धायतन जिन पडिमा सहित वृत्ति में है । प्रिय ! यह बात जैनी अच्छी तरह से जानते हैं । 52 चैत्यालय नंदीश्वर द्वीप में हैं । उनको देवता अट्ठाई चौमासी संवत्सरी या जिन कल्याणक में यात्रा करते हैं । इसका लेख जीवाभिगम जंबूदीपन्नत्ति प्रादि सूत्रों में प्रसिद्ध है । शायद आपको अणगार वांदवा में शंका हो तो सुन लीजे, भगवती सूत्र श. 20 उ. 9 चारण में मुनि का पाठयत्-बीइएणं उप्पाएणं णंदिसरे दौवे समोसरणं करेइ । तहि चेइआइं वंदइ वंदइत्ता......

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