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साक्षीभाव ही साधना का गुर
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निश्चय करें।
हम सजग हों, जागृत हों अपने सच्चे स्वरूप के प्रति । हम अन्तर्मन में झाँकें। भीतर जो भी हो, जैसा भी हो, आखिर हमारा अपना है । अपने से कैसा बचना । अपने से क्या छिपना । अपने से कब तक पलायन किए रहोगे। अपने प्रति प्रामाणिक बनकर ही हम अपनी स्वस्ति-मुक्ति को साध सकते हैं। हम जैसे भी हैं, स्वयं के सामने प्रस्तुत हो जाएँ। भीतर के चेहरे और बाहर के चेहरे को एक बार आमने-सामने आ ही जाने दें। भीड़ से हटकर हमारे भीतर जो व्यक्ति' है, उस व्यक्ति को तलाशें । उस व्यक्ति से मुखातिब हों । एक साक्षात्कार हो अपने साथ, अपने आप से । अपने अन्तर्बोध को हम उजागर होने दें।
हाँ, मैं जानता हूँ अन्तर-आनन्द का कैसा स्वाद है, उसका कैसा प्रकाश है, उसकी कैसी सुवास है । एक अखंड अलमस्ती । एक अखंड शांति । एक अखंड तृप्ति । एक अखंड मुक्ति । एक गहरा मौन । एक गहरा प्रेम । एक अनेरी करुणा । एक अनेरा अहोभाव । अस्तित्व का बरसता आशीष । हम ध्यान के धरातल पर उतर जाएँ, तो हमारा हृदय हमें प्रेम और मेत्री के नानाविध सूत्र देगा। पहाड़ों, नदियों, बादलों, फूलों, सितारों—सबसे मैत्री । हमारा हृदय हर ओर से समृद्ध होता जाएगा। हम सारी सृष्टि के होते जाएँगे। हम व्यक्ति होकर भी सारे विश्व के हो जाएँगे। हमारी गोद में, हमारे आँचल में सारा विश्व होगा।
'ध्यान' महज एक शब्द है, पर ध्यान और जीवन के अन्तर-रहस्यों में तुम वास्तव में डुबकी लगा लो, तो तुम बुद्धों के चरणों में समर्पित हो जाने वाले बुद्धत्व के कमल हुए। तुम साक्षी भर हो जाओ। साक्षित्व, ध्यान का तो प्राण है। विपश्यना को आत्मसात करने का गुर ही साक्षी-भाव है । संबोधि-जनित जीवन की शुरुआत करने के लिए चित्त के संस्कार से उपरत होने के लिए साधक साक्षी भर हो जाए। भीतर के रोग, भीतर का कोहरा स्वतः छंटेगा। बाहर के निमित्त स्वतः निष्प्रभावी होंगे।
अन्तरात्मा में उतरने के लिए साक्षित्व को हम आत्मा ही जानें । साक्षित्व को ध्यान का मेरुदंड मानें । संस्कार चाहे तन का उठे या मन का, बस उसके साक्षी भर रहो। जो उठे, उठे । जो होना हो, हो जाए, हम केवल द्रष्टा भर रहें । सहज शान्त, सहज विश्राम में । यह बोध धीरे-धीरे आत्मसात् होगा। पहले ध्यान में उतरो, तो ऐसा बोध रहे । फिर कर्म करते हुए। शाम को अपने लॉन में बैठे हो, तब भी यह बोध बना रहे । धीरे-धीरे यह बोध गहरा होता जाए । दिन में ही नहीं, रात को सोए हुए भी । चलो तो इस अहसास
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