________________
ध्यान वही, जो घटे जीवन में
मेरे प्रिय आत्मन्,
ध्यान भारतीय मनीषा का मानव जाति को मिला हुआ एक अनमोल उपहार है । जब भी मनुष्य भोगमूलक संसार से उकता जाता है, तो निर्वाणमूलक संसार की ओर उसका अभिनिष्क्रमण होने लगता है । व्यक्ति संसार को जीकर संसार से विमुख होता है और संसार को जीकर ही संसार की ओर अभिमुख भी होता है । गिरते तो दोनों ही गड्ढे में हैं ।
1
1
1
चर्चित कहानी कहती है कि सम्राट ने कहा था, मैं अमृत के गड्ढे में गिरा था और वजीरे आला ! तुम कीचड़ के गड्ढे में गिरे थे । एक मनुष्य स्वयं को अमृतमय मानता है और दूसरे को कीचड़ के गड्ढे में गिरा हुआ देखता है, लेकिन जिसकी दृष्टि आकाश की ओर उठ जाती है, वह चाहे कीचड़ के गड्ढे में गिरे, पर जब भी आस्वादन करेगा अमृत का रसास्वादन करेगा। और तब बीरबल ने भी अकबर से यही कहा था सम्राट, अवश्य ही आपने सपना देखा था कि मैं कीचड़ के गड्ढे में गिरा था और आप अमृत के गड्ढे में गिरे थे, पर हकीकत यह है कि मेरे सपने में जब हम दोनों गड्ढे से बाहर निकले, तो मैं आपको चाट रहा था और आप मुझे ।
अमृत के कुंड में पैदा होकर मनुष्य कीचड़ को चाटता है और संभव है कि कीचड़ में उत्पन्न व्यक्ति अमृत-पथ का अनुसरण कर ले । व्यक्ति का अमृतवाही होना
1
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org