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ध्यानः साधना और सिद्धि
मल्लिकुमारी से विवाह करेंगे। सम्राट दुविधा में पड़ गये कि एक पुत्री और छ: प्रस्तावक । आखिर विवाह तो किसी एक से ही होगा । भयंकर संग्राम होने की संभावना हो गई। एक लड़की के लिए आसन्न युद्ध की संभावना से पिता घबरा उठे कि अब क्या करें । इंसान के तो हिस्से-बाँट भी नहीं किये जा सकते । पिता को संत्रस्त देख मल्लिकुमारी ने कहा, पिताजी आप परेशान न होइए। मैंने जीवन के रहस्यों को जाना है, इसलिए मैं जीवन के प्रति पारदर्शिता और दूरदर्शिता रखती हूँ। आप तो यह सब मुझ पर छोड़ दीजिए । मैं इस समस्या का निराकरण खुद ही कर लूँगी । आप तो केवल छः कुमारों को संदेश भिजवा दीजिए कि सात दिन बाद वे सभी इस राजमहल में पहुँच जाएँ। पिता और अधिक आशंकाग्रस्त हुए कि यह लड़की क्या करने वाली है । विवाह तो एक से होगा और सभी एक साथ आ गए तो मारकाट मच जाएगी। अपनी आशंका पत्री को बताई कि वे आपस में ही लड़ मरेंगे।
पुत्री ने आश्वासन दिया कि वे उसकी बुद्धि और समझ पर भरोसा रखें । सात दिन पश्चात् सभी राजकुमार राजमहल में एकत्रित हुए । सामने मल्लिकुमारी खड़ी थी। छः राजकुमार इतने अद्भुत रूप-लावण्य को देखकर विमुग्ध हो गए और सोचने लगे राजकुमारी मुझसे विवाह कर ले । प्रत्येक के मन में ज्वार उठ रहा था। लेकिन अजीब बात यह थी कि मल्लिकुमारी अपने स्थान से हिलती भी न थी, पलक भी न झपकाती थी। तभी राजकुमारी मल्लि ने अपनी सखियों के साथ उसी कक्ष में प्रवेश किया। सभी कुमार चौंक गए कि मल्लिकुमारी कौन है, यह जो सामने खड़ी है वह, या जो अभी-अभी कक्ष में प्रविष्ट हुई है वह।
मल्लिकुमारी धीरे-धीरे आगे बढ़ी और अपनी प्रतिकृति के पास जाकर उसके सिर पर से ढक्कन उठा लिया । ढक्कन के उठते ही पूरा कमरा भयंकर दुर्गंध से भर गया। सभी नाक भौं-चढ़ाने लगे कि यह क्या बदतमीजी है । मल्लिकुमारी ने पूछा, 'तुम इसी मल्लिकुमारी के लिए लालायित हो? यह मेरी अपनी ही प्रतिमूर्ति है और पिछले सात दिनों से इसमें भोजन-पानी और अन्य खाद्य पदार्थ डाल रही हूँ और अब यह अन्न-पानी सब सडाँध देने लगा है, उससे दुर्गंध आ रही है। प्रिय राजकुमारो ! मेरी यह काया जो इसी तरह हाड़-मांस, मज्जा, रक्त से निर्मित है और निरंतर भोजन करते हए इसी तरह सडाँध देती है, मल-मूत्र उत्सर्जित करती है, ऐसे शरीर के प्रति तम लोग लालायित हो? अशुचि से भरी इस काया के प्रति जितनी तुम्हारी मूर्छा है, काश वही अभीप्सा कायनात के प्रति हो जाती !
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