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ध्यानःसाधना और सिद्धि
नहीं सताएँ कभी किसी को, सबको गले लगाएँ। शांति, शांति हो, विश्व-शांति हो. प्रगति का सर्जन हो । मधुर रहे व्यवहार हमारा, जो औरों से चाहें। विपदा में भी कभी न छूटे, हमसे सच्ची राहें। सत्य धर्म हो, सत्य विजय हो, सत्य हमारा प्रण हो । जिसका जो अधिकार हो उसको, हम क्यों भला चुरायें। हम मानव हैं, मानवता का, मन में दीप जलाएँ। कर्मयोग से जो कुछ पाएँ, वही हमारा धन हो । छल-प्रपंच से दूर रहें हम, संग्रह पर अंकुश हो। लोभ-मोह का रोग निवारें, चित्त हमारा वश हो। ऐसा हो सौभाग्य कि हमसे, औरों का पालन हो॥ जीवन में अनुशासन हो, तन निर्मल, मन निर्मल हो। 'चन्द्र' हमारी जीवन-दृष्टि रोशन हो, मंगल हो। मंगल हो, मंगल हो सबका, हर घर सुख-साधन हो ।
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