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ध्यान और विश्व का भविष्य
मेरे प्रिय आत्मन्, प्रश्न है : ध्यान का मूल अर्थ क्या है ? इसमें निर्विचार होने पर जोर दिया जाता है पर जब तक ऐसा न हो ध्यान में कौन-सा विषय या विचार होना चाहिये। ____संसार के श्रेष्ठतम मार्गों और प्रयोगों में एक है ध्यान । ध्यान में मनुष्य के जीवन का सम्पूर्ण विज्ञान छिपा हुआ है । ध्यान तो धरातल है मनुष्य के अतीत को सँवारने का, वर्तमान को बनाने का, भविष्य को सुधारने का । विश्व का जो मनोविज्ञान मनुष्य को उसके जीवन के समाधान देना चाहता है अगर हम मन के सारे समाधानों को कोई भी नाम और मार्ग देना चाहें तो वह है ध्यान । अशान्ति की दवा ध्यान है और शान्ति की बाँसुरी भी ध्यान ही । व्यक्ति पदों से एक दिन तृप्त हो सकता है, पैसा कमाते थक सकता है, नामगिरी से ऊब सकता है, लेकिन ध्यान तो वह मार्ग है, वह फिजा है, वह रोशनी है, जो उसकी हर थकावट, हर उचाट को मिटाती है और उसे सुबह के खिले हुए फूल की तरह तरोताजा कर देती है। - मुझे ध्यान से प्रेम है । ध्यान मेरे प्रति बहुत सहज है और मैं ध्यान के प्रति । मैं ध्यान में जीता हूँ, ध्यान से जीता हूँ, क्योंकि ध्यान मेरे लिए विश्राम है, आनन्द है, शान्ति है, सहजता है। ध्यान में ऊर्जा के कण छिपे हैं, वह हमें ऊर्जस्वित करता है। ध्यान की चेतना जब हमारी अपनी चेतना से एकाकार होती है, तो हम एक अलग ही पुलक भाव
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