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शूली से सिंहासन बुरी तरह से करो विडंबित,
नगर घुमाकर जैसे भी हो धिक्कृत करना,
नहीं जरा भी
ले
जाना ।
सकुचाना ॥
त
राजा का आदेश प्राप्त कर,
काला गधा मँगाया है । सिर-मुंडन और काला मुँह कर,
उस पर सेठ चढ़ाया है ॥ गले-सड़े टूटे जूतों का,
हार गले में डाला है । जो कुछ कर सकते, कर डाला,
मन . का जहर निकाला है । जल्लादों ने पकड़ रखा है,
फूटा ढपड़ा बजता है । आस-पास में नंगी तलवारों,
का पहरा चलता है ॥ मध्य चौक में धर्मवीर की,
इधर सवारी आई है। उधर विकल जनता की भी, .
अति भीड़ चतुर्दिश छाई है ॥ पौर जनों को संबोधित कर,
___ कहे सेठ ने वचन अनूप । महापुरुष के पावन मन का,
- होता है, ऐसा शुभ रूप ॥
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